असीमराज पांडेय, रतलाम। रतलाम शहर का व्यवसायिक क्षेत्र का थाना “शौकिन” पर मेहरबान होने के साथ कुछ ज्यादा ही फिदा है। दरअसल वाक्या कुछ इस प्रकार है कि तीन दिन पूर्व करमदी सहित आसपास के क्षेत्र में अरसे से खुलेआम ब्लैक में शराब बेचने वाला बदमाश “शौकिन” और उसके साथी ने तीतरी फंटा पर गाड़ी रोक तोड़-फोड़ के साथ मारपीट की। “शौकिन” पर फिदा पुलिस ने उल्टा पीड़ित का वाहन थाने में खड़ा करवाकर उन्हें आरोपी की तरह बैठा दिया। पीड़ित माजरा कुछ समझता तब तक उससे जांच के नाम खर्चा-पानी भी ले लिया। इधर पुलिस ने “शौकिन” और शराब ठेकेदार के मैनेजर की पड़ताल कर उन्हें साढ़े तीन लाख (प्रत्येक आरोपी के 1 लाख 75 हजार रुपए के मान से) राहत के नाम पर डिमांड कर दी। थाने पर जब अज्ञात के खिलाफ प्रकरण की तैयारी करने और सांठगांठ के साढ़े तीन लाख रुपए गिनने की थाने का मुखिया और खाकीधारी शागिर्द हाथ मसल ही रहे थे, तभी पूरे मामले की कप्तान को भनक लग गई। कप्तान ने फटकार के साथ सख्त नाराजी जताई। बेआबरू होकर थाने की खाकी ने बेमन से “शौकिन” सहित एक अन्य आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। ये अंदर की बात है… कि यह रतलाम का व्यवसायिक वही थाना है जहां पर कप्तान तीन से चार बार अपनी टीम भेज डेढ़ दर्जन से अधिक सटोरियों पर कार्रवाई करवा चुके हैं। थाने के मुखिया को भी नकारा कार्यप्रणाली पर नोटिस जारी होने के साथ आभास हो गया है कि नए साल के पहले सप्ताह में उनका विकेट गिरना लगभग तय है, इसलिए वह खुलेआम बल्लेबाजी करने में मशगूल हैं।

फूलछाप पार्टी में जिले के मुखिया का नाम तय
फूलछाप पार्टी में संगठन को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारियों का मन टटोलने का काम जारी है। मंडल अध्यक्षों पर रायशुमारी के बाद जिले की कमान संभालने के लिए गुफ्तगू हुई। फूलछाप की नियमावली में जिले की कमान किसे सौंपी जाए, इसके लिए वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों के अलावा संगठन के 69 लोगों से रायशुमारी की गई। राज्यसभा सदस्य ने प्रक्रिया को पूर्ण किया। इसमें 58 ने राज्यसभा सदस्य के समक्ष वन-टू-वन करते हुए अपना रूझान प्रस्तुत किया। शेष 11 सदस्यो ने मोबाइल फोन पर अपना मत दिया। सत्ताधारी पार्टी में जिले की कमान के लिए रायशुमारी देने पहुंचे कुछ लोग अपने नाम की पैरवी करते हुए भी नजर आए। पार्टी की अंदरूनी खींचतान और गुटबाजी के बावजूद मुहर एक नाम पर लग चुकी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो वर्तमान जिलाध्यक्ष का नाम लगभग तय है, बस अधिकारिक घोषणा होना शेष है। ऐसे में जिले की कमान पर रायशुमारी करने पहुंचे लोगों को एक करारा झटका लगा है कि उनके नाम पर किसी ने समर्थन नहीं दिया। ये अंदर की बात है…कि वर्तमान जिलाध्यक्ष को पुन: जिले की बागडोर संगठन इसलिए देने का मन बना चुका है कि उनके 11 माह के कार्यकाल में जिले में फुटफज्वल नहीं हुआ। सभी गुटों को साधकर चलने में हासिल महारत के चलते प्रदेश संगठन उनसे खुश है।
है भगवान… फरियादी मजदूर से ऐसा बर्ताव
जिले में खाकी गुंडे-बदमाशों के बजाए फरियादी से आरोपी जैसा बर्ताव करने में जुटी है। ऐसा ही एक वाक्या पिछले दिनों पटरी पार थाना क्षेत्र के वर्दीधारी “भगवान” ने कर दिखाया है। मामला कुछ इस प्रकार है कि फरियादी आदिवासी समाज का होकर अपना और परिवार का पेट चांदनीचौक स्थित एक दुकान पर मजदूरी करके भरता है। कुछ माह पूर्व वह जिस मकान में किराये से रहता है वहां पर गुंडे-बदमाशों ने पहुंचकर आतंक मचाया था। मामले में फरियादी ने एफआईआर दर्ज कराई थी। उसका जातीय प्रमाण-पत्र नहीं होने पर चालान कोर्ट में पेश नहीं हो पा रहा था। तो उल्टा खाकीधारी “भगवान” चांदनीचौक क्षेत्र स्थित मजदूरी कर रहे फरियादी को ही आरोपी की तरह दबोचकर थाने पर लाए और उसे जमीन पर बैठा दिया। माजरा नहीं समझने पर चांदनीचौक के व्यापारी और दुकानदार सकते में आ गए। मजदूर के प्रति हकारत भरी नजरों से देखने लगे। “भगवान” की तो सरकारी खाकी की नौकरी होने के कारण उसे नहीं पता था कि मजदूर को एक दिन काम नहीं मिलने पर उसका और उसके परिवार का पेट कैसे पलता है। जब मामले में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया तो उसे कागजी कार्रवाई कर आनन-फानन में छोड़ा गया। दूसरे दिन जब मजदूर अपने काम पर सेठ के पास वापस पहुंचा तो उसे समझाना मुश्किल हुआ कि उसने कोई अपराध नहीं किया है। ये अंदर की बात है… कि जिले के कप्तान अधीनस्थों को कितना भी संवेदनशील रहने का पाठ पढ़ा लें, लेकिन अधीनस्थ उनकी एक नहीं सुनते।