– कैबिनेट मंत्री काश्यप सहित विभिन्न वर्गों के सदस्यों ने प्रोफेसर हाशमी को दी श्रद्धांजलि
रतलाम। शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर, साहित्यकार, चिंतक, कवि और व्यंग्यकार प्रो. अजहर हाशमी का मंगलवार को निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे और पिछले एक वर्ष से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को राजस्थान के झालावाड़ जिले के ग्राम पिड़वा में किया गया।
उनके निधन की खबर मिलते ही रतलाम सहित प्रदेशभर के साहित्यिक जगत में शोक की लहर फैल गई। मंगलवार रात 9 बजे तक उनका शव रतलाम स्थित इन्द्रा नगर स्थित निवास पर दर्शनार्थ रखा गया था। यहां बीती रात भाजपा नेताओं ने प्रोफेसर हाशमी के निवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। एमएसएमई मंत्री चेतन्य काश्यप की ओर से मनोहर पोरवाल, बजरंग पुरोहित, जयवंत कोठारी, सोना शर्मा, मणिलाल जैन ने श्रद्धांजलि दी। भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय और महापौर प्रहलाद पटेल ने प्रोफेसर हाशमी के निवास पर श्रद्धांजलि देते हुए गहरा शोक व्यक्त किया। इस दौरान अन्य राजनैतिक एवं प्रशासनिक अधिकारी सहित प्रोफेसर हाशमी के विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। प्रोफेसर हाशमी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और प्रादेशिक सम्मान प्राप्त हुए। उनकी चर्चित पुस्तक ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के’ को 2021 में मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी और संस्कृति परिषद की ओर से अखिल भारतीय राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। उनकी एक और रचना ‘बेटियां पावन दुआएं हैं’ को 2011 में मध्यप्रदेश सरकार ने ‘बेटी बचाओ अभियान’ का हिस्सा बनाया था, जिसे बाद में एमपी बोर्ड की कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तक में भी शामिल किया गया। उनकी कविता ‘मुझको राम वाला प्यारा हिंदुस्तान चाहिए’ भी व्यापक रूप से लोकप्रिय रही।
प्रो. हाशमी का निधन अपूरणीय क्षति – कैबिनेट मंत्री काश्यप
प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री चेतन्य काश्यप ने रतलाम के प्रसिद्ध चिंतक, लेखक, कवि, ज्योतिषि और साहित्यकार प्रोफेसर अज़हर हाशमी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मंत्री काश्यप ने कहा कि साहित्य मनीषी, हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार, मालवा के गौरव, गीतों के राजकुमार प्रो. अज़हर हाशमी जी के अवसान के साथ साहित्य जगत के एक युग का अंत हो गया। हाशमी जी से रतलाम की पहचान थी। वे गहन अध्येता, लेखक, चिंतक और रचनाकार तो थे ही, एक सहज, सरल, मिलनसार व्यक्तित्व के धनी भी थे। उनकी रचनाओं को पूरे देश ने सम्मान प्रदान किया। कवि सम्मेलनों के सफल संचालन से लेकर कई पीढ़ियों के रचनाकारों के साथ कविता पाठ का गौरव उन्हें हासिल था। हर धर्म के नीति सिद्धांत उनकी ज़ुबान पर थे । प्रोफेसर हाशमी का निधन रतलाम ही नहीं मध्यप्रदेश की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।