– 11 से 16 साल के बच्चों को ट्रेन में चेन पुलिंग कर बचाया गया, 6 संदिग्ध हिरासत में
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। मध्य प्रदेश के रतलाम और विदिशा रेलवे स्टेशनों पर बड़ी मानव तस्करी का खुलासा हुआ है। सामाजिक संगठनों और पुलिस की सतर्कता से 11 से 16 वर्ष की उम्र के 30 नाबालिग बच्चों को बाल श्रम से बचाया गया। ये सभी बच्चे बिहार के कटिहार जिले से सूरत की ओर जा रही समर स्पेशल ट्रेन से पकड़े गए।
इन बच्चों को मदरसे में पढ़ाई के नाम पर सूरत भेजा जा रहा था, लेकिन सच्चाई यह थी कि उन्हें वहां की साड़ी फैक्ट्रियों में बंधुआ मजदूर की तरह काम कराया जाना था। परिजनों को बच्चों की मजदूरी का लालच देकर एक महीने की एडवांस राशि भी दी गई थी। घटना का खुलासा तब हुआ जब उत्तर प्रदेश के पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बच्चों को संदिग्ध अवस्था में ट्रेन में यात्रा करते देखा। उन्होंने इसकी सूचना विदिशा की सामाजिक संस्था सोशल वेलफेयर सोसाइटी को दी। संस्था की जिला प्रभारी दीपा शर्मा ने तुरंत आरपीएफ थाना प्रभारी राजेंद्र सिंह के साथ मिलकर कार्रवाई की योजना बनाई। समर स्पेशल ट्रेन बुधवार सुबह 5:15 बजे विदिशा स्टेशन पर पहुंची, जबकि उसका हॉल्ट महज दो मिनट का था। टीम ने चेन पुलिंग कर ट्रेन को करीब 10 मिनट तक रोके रखा और स्लीपर और जनरल कोच से कुल 34 लोगों को उतारा, जिनमें 20 नाबालिग बच्चे थे। कुछ बच्चे डर की वजह से दूसरे डिब्बों में छिप गए थे। इन्हें बाद में रतलाम स्टेशन पर रेस्क्यू किया गया। भोपाल स्टेशन पर भी बचाव की कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। बचाए गए बच्चों ने बताया कि उन्हें रोजाना 300 रुपए मजदूरी देने का झांसा दिया गया था। बच्चों के अनुसार उनके परिवारों को यह बताया गया कि वे मदरसे में पढ़ने जा रहे हैं। आरपीएफ प्रभारी राजेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि इस रैकेट से जुड़े 6 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जबकि मुख्य आरोपी फरार हैं। उनकी तलाश में हम जुटे है। जस्ट राइट फाउंडेशन के मध्य प्रदेश प्रभारी उमेश शर्मा ने कहा, “यह एक संगठित मानव तस्करी गिरोह है, जो भोले-भाले परिजनों को गुमराह कर बच्चों को जबरन मजदूरी के लिए भेजता है। ऐसे मामलों में सामाजिक संगठनों की सक्रियता ही बच्चों की सुरक्षा की कुंजी है।”