रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रतलाम (प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस) में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ एवं हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में गोस्वामी तुलसीदास एवं मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष विनोद करमचंदानी ने मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस भारतीय सांस्कृतिक चेतना की रीढ़ है, जिसमें मर्यादा, भक्ति, नीति और धर्म का अनुपम समन्वय है। आज के युवाओं को तुलसी और प्रेमचंद जैसे साहित्यकारों का अध्ययन कर अपने जीवन को दिशा देनी चाहिए।

अध्यक्ष करमचंदानी ने कहा, “तुलसीदास ने आध्यात्मिक चेतना को जनमानस तक पहुंचाया, जबकि प्रेमचंद ने यथार्थ के माध्यम से सामाजिक पीड़ा और बदलाव की आवश्यकता को उजागर किया। इस अवसर पर डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ स्मृति शोध संस्थान की निदेशक डॉ. शोभना तिवारी ने प्रेमचंद और तुलसीदास की रचनाओं को समाज और आत्मा का आईना बताते हुए कहा, “प्रेमचंद का साहित्य महज लेखन नहीं, बल्कि समाज के हाशिए पर खड़े व्यक्ति की व्यथा और आकांक्षाओं का जीवंत दस्तावेज है। तुलसीदास ने रामचरितमानस के माध्यम से धर्म, नीति और कर्तव्य को लोकभाषा के ज़रिए जन-जन तक पहुंचाया। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. वायके मिश्र ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। प्रेमचंद और तुलसीदास ने अपने-अपने युग में सामाजिक यथार्थ और नैतिक मूल्यों को जीवन्त किया। विद्यार्थियों को इस साहित्य से जोड़ना जरूरी है ताकि वे अपनी संस्कृति और भाषा की गहराई को समझ सकें।
प्रश्नोत्तरी में दिखा विद्यार्थियों का उत्साह
कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए भाषा एवं साहित्य प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। बी.ए. प्रथम वर्ष की प्रियंका नायक, दिव्यांशी पंवार, आस्मा शेख, कमल पोरवाल, नितेश बघेल और जतिन पाटीदार विजेता रहे। उन्हें मुख्य अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता की पहल
कार्यक्रम से पूर्व महाविद्यालय परिसर के ‘विद्या वन’ में पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। बिले सोशल वेलफेयर सोसाइटी के सहयोग से 25 नीम और 25 पीपल के पौधे रोपे गए। इस अवसर पर अशोक पाटीदार, विक्रम पाटीदार तथा वनस्पति विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश यादव की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। अतिथियों ने विद्यार्थियों को इन पौधों की देखभाल हेतु प्रेरित किया और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया।