रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। जिले में पुलिस प्रशासन के व्यवहार को लेकर भाजपा जिला महामंत्री निर्मल कटारिया ने एक गंभीर घटनाक्रम पर आपत्ति जताते हुए ट्रैफिक डीएसपी आनंद सोनी और औद्योगिक थाना प्रभारी गायत्री सोनी पर अभद्रता, मनमानी, और राजनीतिक भेदभाव जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
कटारिया ने दो दिन पहले घटनाक्रम में अपना पक्ष रखा है। उन्होंने बताया कि 4 अगस्त को उनका भतीजा जय (उम्र 17 वर्ष) जिसके पास वैध लर्निंग लाइसेंस और गाड़ी के सभी दस्तावेज मौजूद थे, उसे ट्रैफिक डीएसपी आनंद सोनी द्वारा रोका गया। दस्तावेज जांच के बाद अभिभावक को बुलाने की बात कही गई। जब अभिभावक पहुंचे तो 1 हजार रुपये का चालान बताया गया, जिसकी राशि दी गई, लेकिन रसीद नहीं दी गई। रसीद की मांग करने पर उनके भतीजे को औद्योगिक थाना ले जाकर अंदर बैठा दिया गया और कहा गया कि अब कोर्ट से ही छुड़वाएं। जबकि नियमानुसार चालानी कार्रवाई से ही प्रकरण का निपटारा हो सकता था।
डीसीपी बोले थे कि तुम कर रहे हो नेतागिरी
कटारिया ने बताया कि जब उन्होंने डीएसपी सोनी से बात की, तो उन्होंने सवाल उठाया कि नाबालिग का लर्निंग लाइसेंस कैसे बन गया। जब उन्हें बताया गया कि यह कार्य परिवहन विभाग का है, तो उन्होंने राजनीतिक आरोप लगाते हुए कहा “तुम नेतागिरी कर रहे हो, हमें भी ऊपर पैसा देना पड़ता है, अब कोर्ट से छुड़वाओ।” जब कटारिया स्वयं थाने पहुंचे, तो डीएसपी वहां नहीं थे, पर उनकी पत्नी एवं थाना प्रभारी गायत्री सोनी मौजूद थीं। कटारिया के अनुसार, जब उन्होंने पैसे लेने के बावजूद बच्चे को छोड़ने में देरी पर सवाल किया, तो थाना प्रभारी भड़क गईं और उन्हें “नेतागिरी मत करो, बाहर निकलो” कहकर थाने से निकल जाने को कहा।
परिवार और पीड़ित किशोर हैं मानसिक तनाव में
घटना के बाद परिवार और स्वयं पीड़ित किशोर मानसिक तनाव में हैं। लगभग दो घंटे तक नाबालिग को थाने में बैठाकर रखा गया। कटारिया ने कहा कि यह पूरा प्रकरण पुलिस के राजनीतिक पक्षपात, मनमानी रवैये, और मानवता की कमी को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यदि केवल चालान की रसीद देकर छोड़ा जाता, तो यह घटना टल सकती थी, लेकिन भाजपा नेता होने के कारण जानबूझकर मामला बढ़ाया गया। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को संगठन के वरिष्ठजनों के समक्ष भी रख चुके हैं।