असीम राज पाण्डेय, रतलाम। हाथछाप पार्टी का शहर में हाल इन दिनों कुछ यूं है जैसे नेताजी की जेब में पार्टी का रिमोट। हाल ही में हुए शक्ति प्रदर्शन में जिलाध्यक्ष ने नवागत शहर अध्यक्ष को ऐसा किनारे लगाया कि मानो प्रदर्शन में ‘साइडलाइन’ कर दिया हो। भीड़ जुटाने के नाम पर जिलाध्यक्ष ने अंचल से लाकर मैदान भर दिया और शहर अध्यक्ष हाथ मलते रह गए। शहर अध्यक्ष की सबसे बड़ी उपलब्धि यही रही कि कार्यकर्ताओं के फोटो तो दूर नाम भी बैनर-पोस्टरों से ऐसे गायब कर दिए जैसे निगम की फाइलों से योजना। जमीन के सौदों में व्यस्त रहने वाले ये नेताजी पार्टी को उसी तरह चला रहे हैं जैसे निगम में विपक्ष के नेता रहते हुए चलाया। ये अंदर की बात है… कि पार्टी हाईटेक मोड में आने का दावा भले ही कर रही है, लेकिन नेताजी कुर्सी पर कब तक बैठ पाएंगे? यह तो वही जानते हैं जो ‘कुर्सी गेम’ की स्क्रिप्ट लिखते हैं।
नाम शरीफो वाला और काम बेइमानी के
जिला मुख्यालय के तीन तारों वाले साहब के ऑफिस में एक “शरीफ” नाम के महाशय इन दिनों सट्टा साम्राज्य चला रहे हैं। कप्तान साहब ऊपर से आदेश देते हैं कि जुआ-सट्टा बंद करो, और ये जनाब नीचे से दुकानें खुलवाते हैं। हाल ही में शेरानीपुरा के अड्डे से पकड़े गए सट्टेबाजों की सुगबुगाहट बाहर तक आई है कि “हम तो शरीफ साहब की अनुमति से चला रहे हैं।” थाने के बीट प्रभारी भी खेल में शामिल हैं और दबिश से पहले ‘अलर्ट’ जारी कर दिया जाता है। इसके अलावा इन साहब ने अपने-अपने बलंद के उन सटोरियों को एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) जारी कर दिए है, जिस बिट में इनके चहेते चौकसी के लिए तैनात है। पिछले कुछ समय से इन महाशय ने डॉट की पूल क्षेत्र में भी एक सट्टे के अड्डे का फीता कटवाया है। ये अंदर की बात है… कि कप्तान चाहे जितना सख्ती का दावा करें, लेकिन आस्तीन के सांप उनकी छवि को डसने में लगे हैं।
दस्तावेजों पर बधियाकरण और कमीशन की सर्जरी
आमजन पर टैक्स की बेतहाशा वृद्धि की मार देने वाले और मूलभूत सुविधाओं वाले विभाग में आवारा कुत्तों की गिनती का खेल फिर शुरू हो गया है। इस बार निगम के प्रभारी साहब ने दावा ठोका कि 200 लोगों की टीम भेजकर 5700 कुत्तों की गिनती करवा ली गई। वाह साहब! कुत्तों की गिनती तो हो गई, अब जनता सवाल पूछ रही है ? काटने वाले कुत्ते कम कब होंगे? हर साल लाखों रुपए खर्च, फाइलों में बधियाकरण पूरा और सड़कों पर वही खतरनाक झुंड। असल खेल दस्तावेज़ों पर बधियाकरण और कमीशन की सर्जरी का है। जनता को दिखावा, फर्म को फायदा, और कुत्तों को आज़ादी का यह तमाशा पिछले तीन वर्षों से धड़ल्ले से हो रहा है। कुत्तों की संख्या तो दूर लोगों के घायल होने की संख्या कम नहीं हो रही। हाल ही में एक युवक कुत्ते के काटने से फेले संक्रमण में अपनी जान गंवा चुका है। प्रदर्शन में प्रभारी साहब ने सांत्वना के साथ टीम भेजकर कुत्तों की गणना करवाने के साथ तीन बार टेंडर जारी करने की व्यथा सुना दी है। ये अंदर की बात है… कि शहर में कुत्तों का नहीं बल्कि बिलों में जरूर बधियाकरण की खूबसूरत तस्वीर दिखाई जा रही है।


