रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। मध्य प्रदेश के रतलाम जिला अस्पताल में सप्ताह भर के भीतर दूसरी बार फर्जी दस्तावेज पर नौकरी के मामले में कोर्ट ने सख्त सजा सुनाई है। पूर्व में अनुकम्पा नियुक्ति में मनमानी पोस्ट के लिए एक महिला को 10 वर्ष का कठोर कारावास हुआ था, वहीं अब रतलाम जिला अदालत ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वाले आरोपी को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा और जुर्माना सुनाया है।
अभियुक्त ऋषिकेश शर्मा (49 वर्ष) पिता रामदुलारे शर्मा, निवासी ग्राम बहुआ, जिला भिंड है। वह जिला अस्पताल रतलाम में ड्रेसर के पद पर कार्यरत था। 5 सितंबर 2000 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रतलाम ने थाना स्टेशन रोड पर शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, ऋषिकेश शर्मा ने 30 जुलाई 1999 को अस्पताल में ड्रेसर के पद पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इसके लिए स्थानांतरण आदेश (7 जुलाई 1999) व रिलीविंग ऑर्डर प्रस्तुत किया। पंचम अपर सत्र न्यायाधीश श्वेता तिवारी ने आरोपी को 10 साल का सश्रम कारावास और 1000 रुपए का अर्थदंड सुनाते हुए जेल भेजने का आदेश दिया।
जांच में हुआ खुलासा
स्वास्थ्य विभाग ने जब रायपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से जानकारी मांगी, तो यह स्पष्ट हुआ कि उक्त नाम का कोई भी व्यक्ति वहां कभी पदस्थ नहीं रहा और न ही उसे कार्यमुक्त किया गया था।
इससे साबित हुआ कि आरोपी ने फर्जी नियुक्ति पत्र और आदेशों के आधार पर नौकरी पाई और लंबे समय तक वेतन उठाकर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
पुलिस और न्यायालय की कार्यवाही
स्टेशन रोड थाना पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 420 के तहत केस दर्ज किया। आगे की जांच में आरोपी पर धारा 467, 468 और 471 भी जोड़ी गईं।
अभियोजन पक्ष ने न्यायालय में गवाहों और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आरोपी की दोष सिद्धि कराई।


