असीम राज पाण्डेय, रतलाम। फूलछाप पार्टी में आजकल राम-लक्ष्मण की जोड़ी नहीं, राम बनाम रावण का सीक्वल चल रहा है। शहर माननीय ने जावरा में जाकर जावरा माननीय के घोर विरोधी के साथ मिलकर मनोरंजन मेला शुरू किया और पार्टी में मनोरंजन शुरू हो गया। फोटो सेशन में मुस्कानें बड़ी थीं पर अंदर गहरी दरारें और गुटबाजी के नए अध्याय खुल गए। कहते हैं दोनों माननीयों की राजनीति अब शतरंज नहीं, मेला गेम ज़ोन बन गई है। जिसमें “किसने किसके झूले पर झूला” यही बड़ी खबर होती है। ये अंदर की बात यह है… कि जावरा और रतलाम के बीच वर्षों से चला आ रहा खेल मेला विवाद अब “कुर्सी मेला” बन चुका है। देखना यह है कि अगली चाल कौन चलता है क्योंकि फूलछाप पार्टी में अब हर कोई राजा है और जनता प्यादा।

थानेदार का माननीय से प्रेम और 15 लाख की डिमांड
आदिवासी अंचल के एक थाने के मुखिया ( थानेदार) पुलिसिंग में नहीं, कमीशनिंग में अग्रणी पाए गए हैं। कहते हैं थाने में इन दिनों एफआईआर दर्ज करने से ज्यादा आसान डील फाइनल करना है। लूट को चोरी बताना, हत्या को ब्रेन हेमरेज घोषित करना और बदमाशों से रसमलाई खाना ये सब इनकी सेवा सूची में शामिल है।
गौशाला रोड कांड कथा तो सबको याद है जब 25 हजार में इंसाफ का ‘बैलेंस’ बिगड़ गया था तब इन साहब को कोर्ट के चक्कर भी काटना पड़े। अब नया किस्सा यह है कि साहब अपने अंचल के माननीय (नेताजी ) के लिए 15 लाख प्रतिमाह की “भक्ति सेवा” का ठेका लेकर कप्तान की डांट खा चुके हैं। ये अंदर की बात यह है… कि थाने में अब काम कम और पैसा पाठ ज्यादा हो रहा है। क्षेत्र की जनता अब कहती है थानेदार बदलो, वरना थाना बिक जाएगा।


नट्टू काका ने तीसरी बार कटवाई फूलछाप की नाक
रतलाम के “भ्रष्टाचार रावण महोत्सव” में इस बार भी मुख्य अतिथि बने निगम के प्यारे नट्टू काका। कहते हैं तीसरी बार गलती दोहराना मूर्खता नहीं, अनुभव का विस्तार होता है। तो नट्टू काका ने भी तीसरी बार रावण दहन के नाम पर जनता की कमाई में माचिस लगाई और अपनी ही फूलछाप पार्टी की नाक तीसरी बार हैट्रिक से कटवा डाली। रावण अधजला रह गया पर नट्टू काका के कांड पूरे जल उठे। मंच पर नेता मायूस, जनता हैरान और काका मुस्कराते हुए बोले यह तकनीकी खामी थी। अब मंत्रीजी की डांट और पार्टी की नाराज़गी के बाद काका भोले-भाले चेहरे से सफाई देते फिर रहे हैं, लेकिन फूलछाप पार्टी से भी भ्रष्ट्राचार के दाग नहीं धुल रहे। ये अंदर की बात है… कि नट्टू काका के मंत्रालय में इतनी रचनात्मक पारदर्शिता है कि विभाग में शामिल पार्षदों ने भी नट्टू काका से दूरी बनाने के लिए इस्तीफो की लाइन लगा दी। संगठन ने जनता में हो रही किरकिरी को ध्यान में रख पेंचवर्क की कोशिश की। अगली बार रावण दहन में होने वाली जग हंसाई से पहले पार्टी नट्टू काका की विदाई लगभग तय कर चुकी है।