– शहर कांग्रेस महामंत्री और पूर्व पार्षद रावत की संभागायुक्त को शिकायत
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम जिला मुख्यालय में करीब डेढ़ सौ करोड़ की लागत से सीवरेज योजना में अनियमित्ता और भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। यह आरोप शहर कांग्रेस महामंत्री और पूर्व पार्षद राजीव रावत ने उज्जैन संभागायुक्त को लिखित शिकायत भेज लगाया है। रावत ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इधर जवाहर नगर में सिटी-टू-लेन निर्माण में पिछले कई माह से ठेकेदार की मनमानी से स्थानीय रहवासी और राहगीर परेशान है।
बता दें कि रतलाम में करीब डेढ़ सौ करोड़ की लागत से सीवरजे योजना का कार्य छह वर्ष पूर्व 2018 में शुरू हुआ था। योजना अंतर्गत रतलाम के 49 वार्डों में सीवरेज लाइन बिछाई जाना थी। लेकिन अब यह योजना शहरवासियों के लिए समस्या बन चुकी है। सीवरेज का दूषित पानी सडक़ों के अलावा घरों में पहुंच रहा है। इसके कारण आम जनता अलग-अलग संक्रमण का शिकार होकर बीमार हो रहे हैं। योजना के हालत कुछ ऐसे हैं कि अभी भी कुछ क्षेत्रों में सीवरेज का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। सीवरेज योजना में अनियमित्ता और भ्रष्टाचार की स्थानीय प्रशासन को शिकायत की गई थी, लेकिन जिम्मेदारों ने मामले की निष्पक्षता जांच नहीं करते हुए फाइल को बंद कर दिया। योजना में शामिल अधिकारी और इंजीनियरों की भूमिका भी संदिग्ध है। इसके चलते पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करते हुए मामले में तत्कालीन रतलाम नगर निगम आयुक्त से सवाल कर उनसे आमजनता को होने वाली परेशानी की भरपाई करवाई जाए और दोषी अधिकारियों सहित इंजीनियरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए निलंबित किया जाए। इसके साथ ही ठेकेदार को प्राप्त भुगतान वापस वसूलने की कार्रवाई शुरू होना अत्यंत आवश्यक है।
सिटी-टू-लेन निर्माण में जनता हो गई परेशान
सज्जनमिल मार्ग स्थित गुजरात स्वीट्स कॉनर्र से लक्ष्मणपुरा क्षेत्र तक बनाई जाने वाली सिटी-टू-लेन निर्माण में ठेकेदार की मनमानी से जनता परेशान है। योजना तैयार किए बिना पूर्व में सडक़ खोद दी गई। इसके बाद पाइप लाइन शिफ्टिंग का कार्य किया गया। पिछले पांच माह से रहवासियों को आवागमन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र की सीवरेज और पानी की पाइप लाइन फूटने से रहवासियों को 15 दिनों से काफी समस्या उपज रही है। जिम्मेदार नगर निगम की अनदेखी के चलते हालत ऐसे हैं कि रहवासियों को पीने के पानी के लिए निजी टैंकरों का सहारा लेना पड़ रहा है।