वीडियो सामने आते ही हड़कंप, जिम्मेदारों को नोटिस, जवाब मांगने की औपचारिकता भर
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले से शर्मनाक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। लालगुवाड़ी गांव के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में बच्चों को मिड-डे मील के तहत मिलने वाली खीर-पूड़ी की जगह सिर्फ परमल थमाए गए। यह कोई भूल नहीं बल्कि सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार की एक और झलक है। 24 जून- 2025 को बच्चों को दिए गए इस अपमानजनक भोजन का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
मेन्यू में खीर-पूड़ी, थाली में परमल
सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत मंगलवार के दिन बच्चों को खीर और पूड़ी दी जानी थी, लेकिन लालगुवाड़ी के इस स्कूल में बच्चों की थाली में केवल परमल परोसे गए। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कई बच्चों को केवल सूखे परमल ही मिले, और स्टाफ के लोग चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। ग्रामीणों की उपस्थिति में यह वीडियो बना और अब सामने आते ही कई सवाल खड़े कर गया है।
नोटिस थमा मामला ठंडा करने की कोशिश?
इस घटना से यह साफ हो गया है कि स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन देने की सरकारी योजनाएं सिर्फ फाइलों और रिपोर्टों तक सीमित हैं, ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जिला पंचायत के सीईओ श्रृंगार श्रीवास्तव ने मामले को संज्ञान में लेते हुए अतिरिक्त सीईओ निर्देशक शर्मा को कार्यवाही के निर्देश दिए। शर्मा ने आनन-फानन में स्कूल की प्रिंसिपल विजया मैड़ा, स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष शांति बाई, सचिव कमला बाई, एपीसी विवेक नागर और बीएसी भूपेंद्र सिंह सिसोदिया को कारण बताओ नोटिस थमाया है। सभी से तीन दिन में जवाब मांगा गया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए की जा रही है?
लापरवाही या सुनियोजित घोटाला?
परमल जैसी चीजें बच्चों को मिड-डे मील में परोसना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार की बू देता है। यह बच्चों के पोषण, उनके अधिकार और उनके भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। अब देखना होगा कि तीन दिन बाद जिला प्रशासन क्या ठोस कदम उठाता है या यह मामला भी बाकी घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा।