रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। सेंट्रल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने रतलाम के समीप एक बड़ी सफलता हासिल की है। इंदौर की संयुक्त NCB टीम ने रतलाम जिले में अवैध रूप से अल्प्राज़ोलम बनाने वाली एक अवैध फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। इस दौरान दो व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है और प्रयोगशाला को सील कर दिया गया है। सेंट्रल टीम की कार्रवाई के बाद स्थानीय रतलाम जिला प्रशासन और सम्बन्धित ड्रग डिपार्टमेंट के जिम्मेदार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो चुके हैं।

जानकारी के अनुसार, यह छापा रतलाम औद्योगिक थाना क्षेत्र के ग्राम सेजवाता स्थित मऊ-नीमच रोड पर इप्का लेबोरेट्री के पास एक किराए के गोदाम में मारा गया है। यह फैक्ट्री पिछले कई महीनों से अवैध रूप से संचालित हो रही थी और स्थानीय जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे थे। सेंट्रल टीम ने मौके से 13.762 किलोग्राम अल्प्राज़ोलम पाउडर बरामद किया, जिसकी अनुमानित कीमत ₹3.44 करोड़ बताई जा रही है। NCB ने मौके से रूप सिंह चौहान (51) और अभिजीत सिंह चौहान (39) को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपितों को मेडिकल जांच के बाद न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें पूछताछ के लिए इंदौर ले जाया गया।


लैब से मिली भारी मात्रा में रसायन और उपकरण
NCB की टीम को प्रयोगशाला से ड्रग्स के अलावा रासायनिक निर्माण में प्रयुक्त बड़ी मात्रा में सामग्री और उपकरण भी मिले। जब्त किए गए प्रमुख रसायन और यंत्र इस प्रकार हैं।
एथाइल एसीटेट: 7.5 लीटर
आइसोप्रोपाइल अल्कोहल: 2.5 लीटर
टोल्यून: 2.5 लीटर
मेथेनॉल: 40 लीटर
क्लोरोफॉर्म: 7.5 लीटर
ग्लेशियल एसिटिक एसिड: 500 मि.ली.
हाइड्रोक्लोरिक एसिड: 500 मि.ली.
मैग्नीशियम सल्फेट: 500 मि.ग्रा.
साथ ही राउंड बॉटम फ्लास्क, ऑयल बाथ, कंडेंसर, स्टिरर और थर्मामीटर जैसे उपकरण भी जब्त किए गए हैं, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि यह फैक्ट्री अवैध रूप से पेशेवर ढंग से संचालित की जा रही थी।
आरोपितों की पृष्ठभूमि और आपराधिक इतिहास
1 ) रूप सिंह चौहान, 51 वर्ष, श्री वैष्णव इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस, इंदौर से बी.टेक स्नातक हैं। इसने पहले विल्सन फार्मा (धार) और श्रीधारा लाइफ साइंसेज प्रा. लि. (रुड़की) जैसी कंपनियों में कार्य किया। वर्ष 2021 में तेलंगाना आबकारी विभाग ने इस पर अल्प्राज़ोलम की अवैध तस्करी का मामला दर्ज किया था, जिसमें वे संगारेड्डी जेल में सजा काट चुके हैं। फिलहाल जमानत पर रिहा था।
2) आरोपी अभिजीत सिंह चौहान (39) ऋषिराज कॉलेज ऑफ फार्मेसी, इंदौर से बी.फार्मा स्नातक हैं। वे पहले इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी रतलाम से जुड़ा हुआ था और बाद में रूप सिंह के साथ मिलकर फार्मास्यूटिकल और आयुर्वेदिक उत्पादों के व्यापार में साझेदार बन गया।
कैसे बनाई जा रही थी अल्प्राज़ोलम
प्रारंभिक जांच से खुलासा हुआ है कि दोनों आरोपी अपनी फार्मा शिक्षा और अनुभव का दुरुपयोग कर एनडीपीएस अधिनियम के तहत नियंत्रित साइकोट्रॉपिक ड्रग अल्प्राज़ोलम का अवैध निर्माण कर रहे थे। जनवरी 2025 से वे इस गोदाम में गुप्त रूप से उत्पादन कर रहे थे। टीम अब इनके आपूर्ति नेटवर्क, वित्तीय लेनदेन और अंतरराज्यीय संपर्कों की पड़ताल कर रही है।
क्या है अल्प्राज़ोलम और इसका दुरुपयोग
अल्प्राज़ोलम एक नियंत्रित दवा है, जो सामान्यतः चिंता और अवसाद के उपचार में दी जाती है। परंतु इसका नशे के रूप में दुरुपयोग तेजी से बढ़ा है। यह दवा कई बार “ताड़ी” (तेलंगाना, आंध्र प्रदेश) और “हेरोइन” (राजस्थान, मध्य प्रदेश) में मिलावट के लिए प्रयोग की जाती है, जिससे मुनाफा बढ़ाया जाता है लेकिन नशे की लत और जोखिम भी बढ़ जाते हैं।