
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। सात वर्ष पूर्व रतलाम (Ratlam) शहर के भाजपा (BJP) विधायक प्रत्याशी चेतन्य काश्यप ( Chetanya Kashyap )के समर्थन में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ( Narendra Singh Tomar) द्वारा चुनावी सभा में तलवार लहराकर आचार संहिता का उल्लंघन करने में भाजपा नेताओं को कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। रतलाम कोर्ट (Ratlam Court) के व्दितीय अपर सत्र न्यायाधीश आशीष श्रीवास्तव ने जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा आरोपी नितिन लोढ़ा के खिलाफ दर्ज फौजदारी प्रकरण को वापस लेने की अनुमति मंजूर करने वाले आदेश को निरस्त कर दिया है।
चुनावी सभा में तलवार प्रदर्शन का आरोप

एडवोकेट अमित कुमार पांचाल की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2018 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान लागू आचार संहिता के बीच रतलाम (Ratlam) शहर के नाहरपुरा क्षेत्र में 18 नवंबर 2018 को पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ( Narendra Singh Tomar) की चुनावी सभा आयोजित की गई थी। इस सभा में तोमर को लोहे की तलवार मय म्यान भेंट की गई, जिसे उन्होंने म्यान से निकालकर जनसभा में लहराया था। आरोप है कि यह कृत्य आचार संहिता व शस्त्र अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन था, लेकिन उस समय की जिला निर्वाचन अधिकारी रुचिका चौहान तथा पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी की मौजूदगी और संरक्षण में किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद फरियादी ने 19 नवंबर 2018 को थाना माणकचौक में शिकायत की, जिस पर 21 नवंबर 2018 को तोमर, भाजपा प्रत्याशी चैतन्य काश्यप और अन्य पर धारा 188, 504, 34 भादवि तथा धारा 25 आर्म्स एक्ट में प्रकरण दर्ज किया गया था।
दूसरी FIR और ‘क्लीन चिट’ का आरोप
एडवोकेट पांचाल के अनुसार अधिकारियों ने वास्तविक दोषियों को बचाने के उद्देश्य से 22 नवंबर 2018 को पटवारी संदीप डबकरा के माध्यम से दूसरी FIR दर्ज की, जिसमें केवल सभा आयोजक नितिन लोढ़ा को धारा 188 भादवि में आरोपी बनाया गया। बाद में पुलिस ने जांच में यह निष्कर्ष देने का प्रयास किया कि तलवार लोहे की नहीं बल्कि लकड़ी की थी, जिसे तोमर ने तुरंत वापस कर दिया। इस आधार पर नरेन्द्र सिंह तोमर और अन्य भाजपा (BJP) नेताओं को क्लीन चिट प्रदान कर केवल नितिन लोढ़ा के विरुद्ध चालान अदालत में पेश किया गया। इस बीच फरियादी की ओर से अदालत में प्रोटेस्ट पिटीशन व अन्य आवेदन भी दिए गए, जिन पर निर्णय होना बाकी था।
राजनीतिक आधार पर बेबुनियाद कार्रवाई
एडवोकेट पांचाल के अनुसार 19 नवंबर 2022 को भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक चैतन्य काश्यप ( Chetanya Kashyap ) ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan)को पत्र भेजकर कहा कि नितिन लोढ़ा पर दर्ज यह मामला और एक अन्य प्रकरण कांग्रेस शासन में बदले की भावना से दर्ज किए गए थे, इसलिए इन्हें जनहित में वापस लिया जाए। इस पत्र के आधार पर तत्कालीन गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 3 मार्च 2023 को पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि दोनों प्रकरण वापस लेने की प्रक्रिया की जाए। इसके बाद पुलिस मुख्यालय ने 10 मार्च 2023 को पुलिस अधीक्षक रतलाम (Ratlam Sp) को पत्र भेजा और जिला अभियोजन अधिकारी ने 31 मार्च 2023 को जानकारी मांगी। परिणामस्वरूप जिला अभियोजन अधिकारी, पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर ने प्रकरण वापस लेने का निर्णय किया। इसके आधार पर अभियोजन अधिकारी ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सपना शर्मा के समक्ष धारा 321 द.प्र.सं. में मुकदमा वापस लेने का आवेदन दिया, जिसे अदालत ने 22 अप्रैल 2025 को बिना फरियादी (एडवोकेट अमित कुमार पांचाल) को सुने स्वीकार कर लिया और नितिन लोढ़ा को दोषमुक्त कर दिया था।
फरियादी की पुनरीक्षण याचिका स्वीकार
इस आदेश के खिलाफ फरियादी एडवोकेट अमित कुमार पंचाल ने पुनरीक्षण याचिका दायर की। जिस पर सुनवाई करते हुए व्दितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने कहा कि बिना फरियादी को सुने मुकदमा समाप्त करना न्यायसंगत नहीं। न्यायालय ने विचारण न्यायालय को आदेश दिया कि प्रकरण को पुनः संस्थित किया जाए और दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही अभियोजन वापसी पर निर्णय लें। अदालत ने कहा कि फरियादी को सुनवाई का पूरा अवसर दिए बिना प्रकरण समाप्त करना विधि के विरुद्ध है। इसलिए अब विचारण न्यायालय को निर्देश दिया गया है कि वह दोनों पक्षों को सुनकर तथा लंबित आवेदन व प्रोटेस्ट याचिकाओं पर विचार कर धारा 321 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अभियोजन वापसी के आवेदन पर दोबारा निर्णय दे।

