रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। नगर निगम रतलाम की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। दो करोड़ रुपये की लागत से बने कुशाभाऊ ठाकरे स्विमिंग पूल को मात्र 12 हजार 666 रुपये मासिक किराये पर निजी हाथों को सौंपने के मामले की जांच अब उज्जैन आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने शुरू कर दी है। इस प्रकरण में सहायक यंत्री अनवर कुरैशी को दस्तावेजों के साथ 11 अगस्त 2025 को पेश होने का नोटिस भेजा गया है। आरोप है कि शासकीय स्विमिंग पूल को औने-पौने दाम में ठेके पर देकर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है।
EOW की जांच के दायरे में अब पूर्व आयुक्त हिमांशु भट्ट, जलप्रदाय प्रभारी राहुल जाखड़, तथा पूल को ठेके पर सौंपने वाली एमआईसी (मेयर इन काउंसिल) के सदस्य भी आ चुके हैं। जल्दी ही अन्य जिम्मेदारों को भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। निगम के संचालन के लिए आम जनता पर टैक्स में बढ़ोतरी करने वाली इसलिए भी शिकंजे में फंस चुकी है कि रतलाम नगर निगम अब खुद सरकारी संपत्तियों को कौड़ियों के दाम पर निजी हाथों में सौंपने के आरोप है। कुशाभाऊ ठाकरे स्विमिंग पूल को महज 1.52 लाख रुपये वार्षिक पर दिल्ली की रामकृष्ण इंटरप्राइजेस को मार्च 2025 में ठेके पर दिया गया।सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि परिषद के जनप्रतिनिधि पूरे मामले पर चुप्पी साधे बैठे हैं, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि यह घोटाला केवल अधिकारियों का नहीं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त मिलीभगत का नतीजा है।
दिखावे के लिए अपनाई थी टेंडर प्रक्रिया
सूत्रों की मानें तो केवल दिखावे की निविदा प्रक्रिया अपनाई गई थी। प्रक्रिया में दो टेंडर आए, जिसमें से एक को तकनीकी खामियों का हवाला देकर बाहर कर दिया गया और दूसरा ठेका बिना प्रतिस्पर्धा के न्यूनतम दर पर सौंप दिया गया। इस पूरे मामले को वंदेमातरम् NEWS ने प्रमुखता से उठाया था, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने से कतराते रहे। कोई स्वास्थ्य विभाग को ज़िम्मेदार ठहराता रहा तो कोई खुद को अधिकारहीन बताता रहा। वहीं कई अफसरों ने फोन तक बंद कर लिया था।