
– खाचरौद रोड स्थित अवैध मदरसे में 5 से लेकर 15 साल तक की बच्चियों को ठूंस-ठूंस कर रखा गया कमरों में
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। अवैध मदरसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश के बाद भी रतलाम जिला प्रशासन की सुस्ती नहीं उड़ी। नतीजतन मध्य प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) को रतलाम पहुंचकर अवैध मदरसे पर छापामार कार्रवाई करना पड़ी। रतलाम जिला प्रशासन ने अपने नकारापन को दबाने की लिए पूरे मामले में मीडिया से भी मामले को दूर रखा। आयोग की कार्रवाई के दौरान मंजर इतना खराब था कि हर कोई उक्त हालत में मासूम बच्चियों को देख सहम जाता।
रतलाम जिला मुख्यालय स्थित खाचरौद रोड पर अवैध संचालित मदरसे पर बाल संरक्षण आयोग की टीम पहुंची। यहां 5 से लेकर 15 साल तक की बच्चियों को अलग-अलग कमरों में ठूंस-ठूंस कर रखना पाया गया । इनमें से एक बच्ची जिसे तेज बुखार था, वह भी नीचे चटाई के बिना फर्श पर दर्द से कराहती पाई गई। मध्य प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) जब अचानक यहां पहुंचा तो स्थितियां देखकर दंग रह गया । एससीपीसीआर की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा जैसे ही बालिकाओं से मिलने मदरसा ‘दारुल उलूम आयशा सिद्दीका लिलबिनात’ के अंदर कक्ष में गईं तो बच्चियों की हालत देखकर एक तरफ उन्हें जिम्मेदार लोगों पर भयंकर गुस्सा आ रहा था तो दूसरी तरफ स्वयं को वे भावुक होने से नहीं रोक पाईं। उन्होंने मदरसा संचालकों से पूछा- मेरे मप्र की बेटियों को भेड़-बकरियों की तरह कैसे रखा ?, जिसका कि जिम्मेदारों के पास कोई जवाब नहीं था ।
अवैध रूप से संचालित किया जा रहा मदरसा
मध्य प्रदेश के कई जिलों समेत राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र से यहां अच्छी शिक्षा, भोजन और आवास के नाम पर गरीब मुस्लिम परिवारों से सौ से अधिक बच्चियों को यहां लाकर रखा गया है। इनमें से बड़ी संख्या ऐसी बच्चियों की मिली है जो स्कूल ही नहीं जातीं और इनका अधुनिक शिक्षा से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है, सिर्फ दीन की तालीम के नाम पर यहां रह रही हैं। इस मदरसे के अनुबंध और मान्यता को लेकर जब मप्र बाल संरक्षण आयोग ने कागजात मांगे तो मदरसा संचालक वे भी नहीं दिखा पाए। काफी दबाव बनाने के बाद आखिर वे बोल गए कि हमने मप्र में इस मदरसे को संचालित करने के लिए शासन से कोई मान्यता नहीं ली है, इसलिए हमारा ये मुस्लिम बच्चियों के लिए संचालित मदरसा शासन से मान्यता प्राप्त नहीं है।
महाराष्ट्र की संस्था से जुड़कर हो रहा मदरसा संचालित
आयोग ने गहराई से जांच की तो सामने आया कि यह मदरसा महाराष्ट्र के नन्दुरबार जिले के जामिया इस्लामिया इशाअतुल उलूम अक्कलकुआ नाम की संस्था से जुड़कर संचालित हो रहा है। इसके साथ ही बाल आयोग ने इसकी फंडिंग स्रोत जानना चाहे तो मदरसा संचालक यह कहते रहे कि अभी हमारे पास सही जानकारी उपलब्ध नहीं है और उन्होंने इस मदरसा को संचालित करने के लिए प्राप्त होने वाली कोई आय के बारे में बहुत पूछे जाने के बावजूद कुछ नहीं बताया। ऐसे में आयोग को अंदेशा है कि लोकल के अलावा फॅारेन फडिंग भी इसे जरूर कहीं न कहीं मिल रही होगी, इसलिए ये मदरसा संचालक सही जानकारी सामने रखना नहीं चाहते होंगे।
कई सालों से हो रहा ये अवैध मदरसा संचालित, स्कूल भी चल रहा
मदरसा संचालक मौलाना मौसीन से जब पूछा गया कि कब से आप इस मदरसे को संचालित कर रहे हैं, तो उसने बताया कि कई सालों से इसे हम संचालित कर रहे हैं। सही वक्त तो मुझे भी याद नहीं । इस मदरसा से जुड़ा एक सच यह भी सामने आया कि मदरसे का अपना एक विद्यालय इसी से लगे परिसर में कक्षा 10वीं तक संचालित किया जा रहा है, जिसमें बाहर से भी बच्चे पढ़ने आते हैं। इस स्कूल को संचालित करने के लिए सोसायटी का 2012 में पंजीयन कराया गया था और स्कूल खोल दिया गया, लेकिन साल 2019 में इस स्कूल की मान्यता मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल से ली गई । यानी कि यह भी सामने आया कि वर्ष 2012 के बाद से 2018 तक इस स्कूल को संचालित करने की कोई मान्यता नहीं रही है । ऐसे में जिसकी संभावना अत्यधिक है, इसे बिना मान्यता के ही चलाया जा रहा था।
‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ का उल्लंघन
अवैध मदरसे में ‘‘कई बच्चियां आधुनिक शिक्षा से पूरी तरह दूर पाई गईं, यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) का सीधा उल्लंघन है। इसमें देश के प्रत्येक 6 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है। यहां इन बच्चियों को इस्लामिक शिक्षा देने के नाम पर आधुनिक शिक्षा से पूरी तरह से दूर रखा जाता हुआ पाया गया। इन बच्चियों को भी आधुनिक शिक्षा लेने का देश के अन्य बच्चों की तरह ही अधिकार है, जब यह अपना निजि स्कूल कक्षा 10वीं तक संचालित कर रहे हैं तब मदरसा संचालकों को अपने स्कूल में या बाहर जहां भी ठीक लगता है, इन सभी बच्चियों का विधिवत दाखिला करवाना चाहिए था, जोकि यहां नहीं पाया गया। कुल 100 बच्चियों में से सिर्फ 40 बच्चियां ही पढ़ाई कर रही हैं।
बुरी हालत में मिली है यहां बच्चियां
रतलाम जिला मुख्यालय के खाचरौद मार्ग पर आयोग ने सूचना पर कार्रवाई की है। यहां पर स्थिति सुचारू नहीं मिली हैं। बच्चियां खुले फर्श पर पाई गई है। मदरसे के रजिस्ट्रेशन संबंधित जानकारी भी मौजूद लोगों ने उपलब्ध नहीं करवाई है। दो बच्चे ऐसे मिले हैं जिनके माता-पिता नहीं हैं और कहीं भी ये बच्चे बाल आर्शीवाद योजना में रजिस्टर्ड नहीं हैं पाए गए हैं। पूरे मामले में शासन को लिखेंगे और बच्चियों के सुखद भविष्य के लिए बेहतरी के प्रयास करेंगे। – डॉ. निवेदिता शर्मा, सदस्य – बाल संरक्षण आयोग भोपाल