रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। शहर के व्यस्ततम सेठजी बाजार में सोमवार देर रात दो नामी क्रिकेट बुकी बारीक और मिर्ची के बीच वर्चस्व की जंग ने हिंसक रूप ले लिया। विवाद इतना बढ़ा कि करीब दो घंटे तक पूरा इलाका दहशत के साए में रहा। इस दौरान बाजार खरीदारी करने पहुंचे परिवार भी सकते में आ गए और बाजार से सीधे घर चले गए।

प्रत्यक्ष दर्शियों के मुताबिक, दोनों पक्षों ने झगड़े के दौरान अपने-अपने गुटों के हिस्ट्रीशीटर और रंगबाज़ों को मौके पर बुला लिया था। कुछ ही देर में सैकड़ों लोग जमा हो गए। तनाव बढ़ता देख आसपास के व्यापारी और निवासी अपने घरों व दुकानों में बंद हो गए। सूत्रों के अनुसार, झगड़े की शुरुआत किसी तीसरे व्यक्ति के सट्टे के रुपये को लेकर हुई थी। पहले फोन पर गाली-गलौज और धमकियां दी गईं, जिसके बाद दोनों बुकी आमने-सामने आ गए। एक गुट में जिम के बॉडीबिल्डरों की टोली थी, जबकि दूसरी ओर ‘कबाड़ी’ और ‘पव्वा’ गिरोह के लोग शामिल थे। भिड़ंत के दौरान बारीक के भाई को चाकू लगने से घायल होने की भी खबर है।

वीडियो पहुंचने पर दोनों बुकी थाने बुलाए गए
घटनास्थल पर मौजूद एक रहवासी ने पूरी घटना का वीडियो बनाकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भेजा। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को थाने ले गई। देर रात थाने के बाहर भी समर्थकों की भीड़ जमा रही। सूत्रों के मुताबिक कुछ राजनीतिक चेहरों ने दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की कोशिश की। देर रात तक चली बातचीत के बाद दोनों बुकी अपने-अपने घर लौट गए।
चाकूबाजी जैसे अपराध में ‘समझौता’ संभव है?
घटना के बाद मंगलवार को शहरभर में चर्चा है कि क्या इस तरह के गंभीर आपराधिक मामले को आपसी समझौते से दबाया जा सकता है? स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि सेठजी बाजार में पहली बार इतना भयावह दृश्य देखा गया। जिन लोगों को बुलाया गया था, वे किसी भी वक्त बड़ी वारदात कर सकते थे।
शांति’ का दिखावा या कानून का समझौता?
शहरवासियों में अब यह सवाल गूंज रहा है कि क्या पुलिस ने सिर्फ दिवाली से पहले शांति दिखाने के लिए मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया है? लोगों का मानना है कि अगर ऐसे मामलों में केवल “समझौते” से कानून शांत होता रहेगा, तो आम नागरिकों की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था दोनों पर सवाल उठना स्वाभाविक है।