असीम राज पाण्डेय, रतलाम। नगर निगम में पिछले दिनों अजब-गजब नजारा देखने को मिला। फूलछाप पार्टी के पूर्व मंत्री आमजन के लिए न्याय की गुहार लेकर निगम पहुंचे तो थे, लेकिन खुद ही “इंतजार की अदालत” में बैठा दिए गए। पूर्व मंत्री एक दिन पहले “साहब” से तय हुए समय पर अगले दिन पहुंच गए। लेकिन साहब अपने चैंबर से नदारद थे। पीए ने साहब को फोन लगाकर कहा कि पूर्व मंत्री आए। “साहब” में जोश में फोन पर बात करते हुए कहा आधा से पौन घंटा लगेगा। तब पूर्व मंत्री जी भी तमतमा दिए, कहा कि आप एक ही अधिकारी हो क्या काम करने वाले। फिर क्या, पूर्व मंत्री ने साफ कह दिया कि जब तक नहीं आओंगे तब तक यही बैठा हूं। इधर दूसरी तरफ पूर्व मंत्री की पार्टी के ही नगर सरकार माननीय समेत वार्ड माननीय भी बैठक में गुफ्तगु कर रहे थे। लेकिन एक भी मिलने नहीं पहुंचा। जबकि अधिकारियों से लेकर पूरे नगर निगम में मालूम था कि ऊपर सेठ (पूर्व मंत्री) बैठे है। जब तक “साहब” नहीं आए तब तक पूर्व मंत्री अपने समर्थकों के साथ बैठे रहे। “साहब” ने एक घंटे से भी ज्यादा इंतजार करवाया गया उस शख्स को, जिसकी छवि पार्टी के “कद्दावर” नेताओं में गिनी जाती है। जबकि “साहब” एक और मलाईदार विभाग की जिम्मेदारी के चलते बड़े साहब के साथ शहर में भ्रमण पर निकले थे। ये अंदर की बात है… कि पूर्व मंत्री आम लोगों के लिए आए थे, खुद मिसाल बन गए “जनता क्या देखे, जब नेता ही लाइन में”..!
मानसून में खाकी दिखा रही अलग-अलग रंग
मानसून में जहां धरती हरियाली ओढ़ती है, वहीं जिले की पुलिस ‘गड़बड़ी की चादर’ में लिपटी नजर आ रही है। अभी महकमें के गलियारों में फोरलेन पर विवादित जमीन पर 40 लाख की सेटिंग की चर्चाएं थमी भी नहीं थी कि नामली थाना सुर्खियों में आ गया। पहले एक पत्रकार पर आवेदन मात्र में FIR दर्ज की गई और विरोध होते ही थानेदार को चलता कर दिया गया। लेकिन यह सफाई ज्यादा देर टिक नहीं पाई। इसी थाना क्षेत्र में प्रेम-प्रसंग के चलते एक दिल दहला देने वाली घटना हो गई। चौकीदार ने वक्त पर सूचना दी, लेकिन दो तारों से सजे प्रभारी कुर्सी की खुशी में इतने मग्न थे कि बोले “100 डायल कर लो!” हत्या हो गई और साहब जश्न में डूबे रहे। बाद में FIR कुछ यूं घुमा दी गई कि नाबालिग लड़की ही मुख्य फरियादी बनी और उसके माता-पिता आरोपी। जांच में यह साफ हो गया है कि प्रभारी ने “कुर्सी की मस्ती” में चौकीदार की चेतावनी को हवा में उड़ा दिया था। नतीजा लाइन नहीं, सीधा सस्पेंड। ये अंदर की बात है… कि जिले में चर्चा है पुलिस की खाकी, भ्रष्टाचार की बुनियाद में रंग गई है, और जनता सवालों के साथ अकेली खड़ी है।
माननीय का “ड्रीम प्रोजेक्ट” बन चुका स्वीमिंग पूल
शहर में नगर सरकार माननीय के “ड्रीम प्रोजेक्ट” की गूंज थी, 80 फीट की चौड़ी, चमचमाती सड़क। लेकिन दो दिन की बारिश ने ऐसा स्विमिंग पूल तैयार कर दिया कि गूंज अब ‘मजाक’ में बदल गई। 6 करोड़ की लागत से बनी ये सड़क सोशल मीडिया पर मीम्स और मजाक का ज़रिया बन गई। नगर सरकार माननीय तो रील बनाते थे, जनता को ‘विकास दर्शन’ कराते थे। लेकिन 80 फीट सड़क 40 फीट में सिमट गई और फुटपाथ पर अतिक्रमण की इजाज़त “बोनस” में मिल गई। लाइटें अभी चालू नहीं हुईं, गड्ढों में पौधों की जगह हादसे पनपने लगे हैं। अब सवाल ये है कि जिस सड़क को ‘आदर्श’ कहा गया, वो स्विमिंग पूल कैसे बन गई? ठेकेदार से कोई सवाल नहीं, जिम्मेदारों से कोई जवाब नहीं। ये अंदर की बात है… कि शहर अब नगर सरकार माननीय से सवाल पूछ रहा है उनका “ड्रीम प्रोजेक्ट आखिर कैसे पूल की सौगात में तब्दील हो गया ?