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Saturday, July 27, 2024

प्रकट कार्यक्रम : 21 दिवसीय RSS के शिक्षा वर्ग का हुआ समापन, 300 से अधिक स्वयंसेवकों ने लिया भाग

लोक कल्याणकारी भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए संघ की स्थापना हुई – बलिराम पटेल

रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जावरा में चल रहा 21 दिवसीय शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष का समापन मंगलवार को हुआ। प्रशिक्षण वर्ग जिले जावरा में स्थित स्कालर्स पब्लिक स्कूल में 17 मई से प्रारंभ हुआ था। जिसके आखरी दिन संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष का प्रकट उत्सव एवं समापन समारोह आयोजित किया गया। वर्ग में मालवा प्रांत के कई जिलों से आये 300 से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया। जावरा में विशेष रूप से शिक्षा वर्ग में 17 वर्ष से 26 वर्ष तक कि आयु के युवाओं के लिए था। प्रकट कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने वर्ग में सीखे गये दंड संचालन, यष्टि, नियुद्ध, पिरामिड, घोष, सामुहिक समता आदि का प्रदर्शन किया। समापन पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक एवं मातृशक्ति उपस्थित रही।

कार्यक्रम की शुरूआत शाखा में ध्वजारोहण एवं संघ प्रार्थना से की गई। मुख्य अतिथि डॉ. आई. एल. चंदेलकर (सेवानिवृत्त वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ), मुख्य वक्ता बलिराम पटेल (प्रांत प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – मालवा प्रांत), नंदराम पाटीदार (जिला संघ चालक जावरा), व वर्ग अधिकारी विकास आचार्य रहे। मुख्य अतिथि डॉ. चंदेलकर ने इस दौरान कहा कि राष्ट्र के विघटनकारी तत्वों की पूर्व में पहचान करके राष्ट्र की रक्षा करने का दायित्व स्वयंसेवकों पर है।

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स्वयंसेवकों को संबोधित करते प्रांत प्रचारक बलिराम पटेल

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता बलिराम पटेल ने कहा कि आज हम संघ स्थापना के शताब्दी वर्ष की और बढ़ रहे है। इन 100 वर्षों में संघ का एक मात्र उद्देश्य हिन्दू समाज का संगठन एवं राष्ट्र को परम वैभव की और ले जाना है। 1925 में संघ की स्थापना के समय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के अंतर्मन में यही ध्येय था कि समाज जागरण करना। अंग्रेजो से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद अन्य कोई माँ भारती को पुनः परतंत्रता की बेडियो में न जकड़ सके इसके लिए समस्त हिंदू समाज का जागरण आवश्यक है।
स्वतंत्रता के 75 वें अमृतमहोत्सव काल में देश को अपनी संसद मिली तथा लोक कल्याणकारी राज्य के लिए भारतीय चिंतन के अनुरूप सेंगोल के रूप में धर्मदंड की स्थापना भी हुई।

उड़ीसा रेल हादसे में पहले पहुंचा संघ
पटेल ने कहा किआज संघ अपने विराट रूप में है, संघ का कार्य 40 से अधिक देशों में चल रहा है, इसके 50 से अधिक समवैचारिक संगठन समाज से किसी न किसी रूप में सेवा और स्वावलंबन में जुड़े हैं।
राष्ट्र और समाज की सेवा के लिए संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक तत्पर है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण वर्तमान में उडीसा के बालासोर में हुई दुखद रेल दुर्घटना में देखने को मिला। जहां राहत कार्य में प्रशासन से पहले संघ के स्वयंसेवकों ने दूर्घटना स्थल पर पहुंचकर बिना जाती धर्म देखे समभाव से सेवा कार्य किया। अधिक लोगों के हताहत होने के कारण सेकड़ो की संख्या में रक्तदान कर कई घायल बंधुओं के प्राणों की रक्षा की, यही संघ के संस्कार है। आज सेवा भारती के माध्यम 72 हजार से अधिक नियमित सेवा कार्य चल रहे हैं।

समाज में ना हो जातिगत भेदभाव
पटेल ने बताया कि मनुष्य ने प्रकृति का बहुत दोहन कर लिया अब प्रकृति को लौटाने का समय है, पर्यावरण गतिविधि के माध्यम से समाज में यह संस्कार का प्रसार किया जा रहा है। संघ समाज में समानता की भावना का प्रसार करता है और यह संदेश देता है कि वर्ण, जाति, कुल, गोत्र और क्षेत्र के आधार पर कही भी भेदभाव नही होना चाहिए। लेकिन फिर भी आज कई जगहों पर उदाहरण देखने व सुनने में आते है। तृतीय सरसंघचालक श्री बालासाहेब देवरस जी ने कहा था कि “यदि अस्पृश्यता पाप नहीं तो दुनिया में कुछ भी पाप नहीं ” संघ की शाखा में जाने वाला प्रत्येक स्वयंसेवक समाज के समरसता के लिए तत्पर है। यह वर्ष छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यारोहण के 350 वें वर्ष को समर्पित है। पूरे सालभर शिवाजी महाराज के ‌राज्य कौशल, शौर्य और पराक्रम को स्मरण कराने वाले कार्यक्रम होना चाहिए। इस वर्ष महावीर स्वामी जी के 2550 वें निर्वाण वर्ष एवं आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती जी का 200 वां जन्म वर्ष मनाया जाना है। समाज में राष्ट्र विरोधी शक्तियाँ समय समय पर नकारात्मक विमर्श स्थापित करने के षड्यंत्र में लगी रहती है। आम नागरिक का भी कर्तव्य बन जाता है कि संचार के नए माध्यमों से ऐसे कुत्सित प्रयास विफल करे।

भारत में मातृशक्ति का इतिहास बहुत गौरवमयी रहा है, आवश्यकता पड़ने पर सदैव उन्होंने समाज को मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ अपने प्राणों को भी आहुत करने में संकोच नहीं किया। वर्तमान में विधर्मियों द्वारा बहन- बेटियों को निशाना बना कर अनेक षड्यंत्र रचे जा रहे हैं तो मातृशक्ति का भी कर्तव्य बनता है कि समाज की बेटियों को जीजा माता और मणिकर्णिका के शौर्य और तेज़ से परिचित कराये ताकि कोई मलेच्छ उन्हें भ्रमित न कर पाए।

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