रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। तीन महीने की लंबी तलाश, बिखरती उम्मीदें और थक चुकी आंखें… लेकिन आज ‘अपना घर आश्रम’ ने एक परिवार को उनका खोया हुआ सदस्य लौटाकर भावनाओं की ऐसी लहर पैदा की, जिसने हर किसी का दिल छू लिया। यह घटना केवल पुनर्मिलन की कहानी नहीं, बल्कि सेवा, करुणा और मानवता का जीवंत उदाहरण है।
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के ग्राम सीतापुर निवासी देवलाल मानसिक अस्वस्थता के चलते घर से भटक गए थे। भूखे-प्यासे सड़कों पर भटकते हुए उन्होंने तीन महीने तक असहाय जीवन जिया। 26 अगस्त 2025 को रतलाम के निवासी हरीश व्यास ने उन्हें अत्यंत दयनीय हालत में देखा और तुरंत ‘अपना घर आश्रम’ से संपर्क किया। आश्रम की टीम मौके पर पहुंची, उन्हें सहारा दिया और चिकित्सा व सेवा से धीरे-धीरे उनके जीवन में सुधार लाया।
सेवा और धैर्य से जुड़ी टूटी हुई यादें
आश्रम प्रभारी प्रदीप वर्मा ने देवलाल से संवाद शुरू किया। उनकी संवेदनशीलता और धैर्य ने ऐसा असर दिखाया कि देवलाल धीरे-धीरे अपनी यादें जोड़ने लगे। परिवार और गांव के कुछ अंश उन्होंने बताए, जिनके आधार पर आश्रम ने स्थानीय पुलिस की मदद से उनके घरवालों को खोज निकाला। जब परिवार को सूचना मिली, तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि उनका खोया सदस्य सुरक्षित है।
भावनाओं से भरा पुनर्मिलन
आश्रम परिसर उस पल का गवाह बना जब देवलाल के भाई और भतीजे सूरज उनसे मिलने पहुंचे। भाई ने गले लगाते हुए कहा हमने तो उम्मीद छोड़ दी थी कि सुनील (देवलाल) कभी वापस आएगा। लेकिन आश्रम के सेवकों ने हमें भगवान का आशीर्वाद लौटाया है। भतीजे सूरज ने भी भावुक होकर कहा, यह सिर्फ सेवा नहीं, बल्कि नया जीवन देने जैसा है। हम पूरे परिवार की ओर से दिल से आभारी हैं।
सेवा ही धर्म’ की प्रेरणा देती कहानी
इस मौके पर आश्रम प्रभारी प्रदीप वर्मा ने बताया हमारा संकल्प है कि कोई भी व्यक्ति असहाय और बेसहारा न रहे। ठाकुर जी की कृपा और साथियों के अथक प्रयासों से ही यह परिवार फिर से एक हो सका। यह घटना हमें सिखाती है कि संवेदनशील समाज बड़े वादों से नहीं, बल्कि ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से बनता है, जहां हर व्यक्ति दूसरों के दर्द को अपना दर्द समझता है। यदि आपके आस-पास कोई असहाय व्यक्ति दिखे, तो ‘अपना घर आश्रम’ से 6266600568 पर संपर्क करें। आपका एक फोन कॉल किसी के जीवन को नया प्रकाश दे सकता है।


