
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। कर्नाटक के राज्यपाल (Governor) थावरचंद गेहलोत (Thaawarchand Gehlot )के पोते देवेंद्र गेहलोत की पत्नी दिव्या गेहलोत ने पति और ससुराल पक्ष पर दहेज की मांग, शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न, तथा जानलेवा हमला करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। दिव्या ने रतलाम एसपी अमित कुमार (Ratlam SP Amit Kumar) को लिखित शिकायत देते हुए न्याय की गुहार लगाई है और ससुराल वालों के कब्जे में रखी गई चार वर्षीय बेटी को वापस दिलाने की मांग की है।
दिव्या की शिकायत के अनुसार, पति देवेंद्र गेहलोत (33), ससुर जितेंद्र गेहलोत (55) जो आलोट से पूर्व विधायक रह चुके हैं, देवर विशाल गेहलोत (25) और दादी सास अनिता गेहलोत (60) निवासी नागदा (उज्जैन) द्वारा लंबे समय से दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। दिव्या का आरोप है कि ससुराल पक्ष ने शादी से पहले कई महत्वपूर्ण बातें छिपाईं और शादी के बाद 50 लाख रुपये की दहेज मांग को लेकर निरंतर दबाव डाला गया। पीड़िता दिव्या ने वंदेमातरम् NEWS से चर्चा कर कहा है कि वह अब चुप नहीं रहेंगी और अपनी बेटी तथा सम्मान के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगी। उनके अनुसार, धनाढ्य और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवार होने के बावजूद भी वे लालच के कारण इतनी क्रूरता पर उतर आए।
शादी के बाद सामने आए असली हालात
दिव्या के अनुसार, उसकी शादी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आलोट के ताल में हुई थी। शादी के बाद पहली बार जब वह ससुराल पहुंचीं तब पता चला कि उनके पति शराब और अन्य नशे के आदी हैं और कई अन्य महिलाओं से भी संबंध रखते हैं। दिव्या ने आरोप लगाया कि इससे पहले इस बारे में उनसे कुछ भी नहीं बताया गया था। शिकायत में दिव्या ने कहा कि ससुराल पक्ष बार-बार कहता था कि
“तेरे पिता ने 50 लाख रुपये दहेज देने की बात कही थी, अब क्यों नहीं देते?”
पैसे नहीं देने पर न सिर्फ नियमित रूप से गाली-गलौच और मारपीट की जाती थी बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया जाता था। दिव्या का कहना है कि वह कई बार रात में घर से बाहर निकाल दी जाती थीं और विवश होकर मायके जाना पड़ा। 2019 में समझौते के बाद दोबारा ससुराल ले जाया गया, वादा किया गया कि आगे से सब ठीक रहेगा, लेकिन यातनाएं कम होने की बजाय बढ़ती गईं।
गर्भावस्था में भी प्रताड़ना और इलाज न मिलना
दिव्या ने बताया कि 2021 में गर्भवती होने के दौरान भी दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया। ससुराल वालों ने उससे अत्यधिक क्रूरता के साथ व्यवहार किया और मानसिक दबाव बनाया। बेटी होने के बाद उम्मीद थी कि परिस्थितियां सुधारेंगी, लेकिन स्थिति बदतर होती गई।
26 जनवरी 2025 की रात जान लेने का प्रयास
दिव्या के अनुसार घटना 26 जनवरी 2025 की रात की है। पति देवेंद्र शराब के नशे में घर आए और उसे बेरहमी से चांटों, लात-घूसों से पीटा। उन्होंने कहा कि
“आज तू पैसे नहीं लाई तो तुझे खत्म कर दूंगा।” इसके बाद दिव्या को कथित रूप से घर की छत से नीचे धक्का दे दिया, जिससे वह गैलरी में गिर पड़ीं और उनकी रीढ़, कंधे और कमर में गंभीर चोटें आईं। दिव्या का आरोप है कि इतनी गंभीर चोटों के बाद भी रातभर अस्पताल नहीं ले जाया गया और अगले दिन नागदा के एक निजी अस्पताल में पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर बताकर इंदौर के बॉम्बे अस्पताल रेफर किया। इन सबके बाद भी ससुराल पक्ष ने उसकी मायके वालों को सूचना तक नहीं दी।
चार साल की बेटी को छीनकर रखने का आरोप
दिव्या ने कहा कि उसकी चार साल की बेटी को ससुराल वालों ने अपने पास जबरन रखा हुआ है और उसे माँ से मिलने तक नहीं दिया जा रहा। तलाक देने की धमकी देकर बच्ची को दबाव बनाने के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। दिव्या ने कहा “एक मां ही अपनी बेटी की सही देखभाल कर सकती है। मुझे मेरी बेटी चाहिए।”
रतलाम पुलिस से न्याय की अपील
दिव्या ने रतलाम एसपी अमित कुमार से मुलाकात की। उन्होंने मामला नागदा क्षेत्र का होने के कारण उज्जैन आईजी और एसपी को शिकायत देने की सलाह दी। हालांकि रतलाम पुलिस ने भी आवेदन स्वीकार किया है।
पीड़िता दिव्या की प्रमुख मांगें
पीड़िता दिव्या की न्याय व्यवस्था से प्रमुख मांगें हैं। उनमें प्रमुख 50 लाख दहेज मांग और उत्पीड़न के मामले में निष्पक्ष जांच हो। जानलेवा हमले के आरोपों पर कानूनी कार्रवाई की जाए और चार वर्षीय बेटी की कस्टडी वापस दिलाई जाए। इसके अलावा आरोपी पक्ष के राजनीतिक प्रभाव के कारण मामले को दबाया न जाए।


