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यह कैसी जांच: कलेक्टर ने 15 दिन में मांगी थी रिपोर्ट, 39 दिन बाद भी अधूरी

रतलाम, वन्देमातरम् न्यूज।
रतलाम जिले के ग्राम पंचायत पलसोड़ा के प्रधान (सरपंच) कैलाश राठौड़ के खिलाफ ग्रामीणों द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार व अवैध खनन की जांच अभी तक नहीं हो पाई है। जबकि कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम ने 15 दिन में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था। 39 दिन बाद भी जांच अभी तक केवल बयान लेने और दस्तावेजों के परीक्षण पर ही टिकी है।
बता दे कि 2 अक्टूम्बर महात्मा गांधी जयंती पर गांव पलसोड़ा के ग्रामीण ग्राम पंचायत सरपंच कैलाश राठौड़ के खिलाफ धरने पर बैठ कर भूख हड़ताल शुरू कर दी है। प्रशासन के अधिकारी गांव पहुंचे मनाने की कोशिश की लेकिन ग्रामीण नहीं माने। यहां तक रतलाम ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना, भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्रसिंह लुनेरा भी जब गांव पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें घेर कर खरी खोटी सुनाई। ग्रामीणों ने विधायक को यह तक कह दिया कि वोट लेने आते हो उसके बाद आज तक ग्रामीणों की समस्या पर ध्यान नही दिया। ग्रामीणों ने सरपंच की दबंगई, ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार व अवैध खनन के खिलाफ ज्ञापन देकर शिकायत की थी। लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने पर ग्रामीण अहिंसात्मक रूप से भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। इस मामले में कलेक्टर ने जांच कमेटी बनाई गई जिसमें डिप्टी कलेक्टर मनीषा वास्कले, जिला पंचायत की अतिरिक्त प्रभारी सीईओ विनीता लोढ़ा, कार्यपालन ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अतिरिक्त अन्य अधिकारियों को भी शामिल किया गया था। जांच कमेटी को 15 दिन में रिपोर्ट देना थी, लेकिन तय समय बीतने के बाद कुछ और समय बढ़ाया गया। लेकिन वह समय भी खत्म हो गया। इसके बावजूद भी आज तक जांच अधूरी पड़ी है। जबकि सरपंच के खिलाफ ग्रामीणों ने कई दस्तावेज भी उपलब्ध कराए है।
बिना जीएसटी के बिल भी लगाए
सरपंच द्वारा स्वयं अपने कई ऐसे बिल भी ग्राम पंचायत में लगाए गए जिन पर जीएसटी नंबर भी दर्ज नही थे। शिकायतकर्ताओं ने ऐसे बिल भी जांच टीम को उपलब्ध कराए है। वहीं सरपंच अपने बचाव पक्ष के रास्ते भी अन्य माध्यमों से तलाश में जुटा था। लेकिन एक नहीं चली।
विभागीय अधिकारियों को सौंपी जानी थी जांच
सूत्रों की माने तो ग्राम पंचायत से जुड़ी जांच जिला पंचायत के सम्बंधित अधिकारियों को सौंपी जानी थी। पूर्व में इससे भी बड़ी-बड़ी जांच विभाग के अधिकारी कम समय कर चुके है। लेकिन इस जांच में इन अधिकारियों से किसी प्रकार से कोई जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों तक ने नहीं ली। जांच में कुछ अधिकारी ऐसे भी जो केवल कागजी खाना पूर्ति तक ही सीमित है लेकिन भौतिक परीक्षण में अधूरे है।
कॉल रिसीव नहीं किया
इस मामले में जिला पंचायत सीईओ जमुना भिड़े को दो बार कॉल किए व मैसेज भी किया, लेकिन रिप्लाई नहीं मिला। वही प्रभारी अतिरिक्त सीईओ विनीता लोढ़ा का कहना था कि जांच चल रही है।

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