रतलाम,वंदेमातरम न्यूज।
जैन सोश्यल ग्रुप रतलाम मानव सेवा में हमेशा समर्पित रहा है। ग्रुप द्वारा पीड़ित मानवता की सेवा में एक कदम ओर बढ़ाते हुए शहर को नई एम्बुलेंस की सौगात दी है। एम्बुलेंस का शहर व बाहर सम्पूर्ण स्थानों में संचालन किया जाएगा। इस एसी एम्बुलेंस लोकार्पण के साथ ही ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष श्री श्रेणिक जी जैन द्वारा अपनी जीवन गाथा पर लिखी गई किताब ‘24000 दिन’ पर भी विवेचना की गई।
एम्बुलेंस का लोकार्पण समारोह में वरिष्ठ सदस्य फतेहलाल कोठारी, अध्यक्ष श्री कमलेश जैन, पूर्व अध्यक्ष व कमेटी प्रमुख श्री महेंद्र जी गादिया, सुशील छाजेड़, कांतिलाल मंडलेचा, सुनील पारिख, सचिवद्वय अजय सिसोदिया, चन्द्रसेन गढ़िया, उपाध्यक्ष भंवरलाल पुंगलिया, कोषाध्यक्ष भूपेंद्र डोशी, झोन कॉर्डिनेटर राजेश पटवा, इलेक्ट चेयरमैन एमपी रीजन प्रितेश गादिया, फेडरेशन कमेटी के दीपेंद्र कोठारी की उपस्थिति में किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत भगवान महावीर स्वामी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर किया। नवकार मंत्र संगीता बुपक्या, लता डोसी, चंदनबाला सियाल, साधना सिसोदिया ने किया। अध्यक्षीय उद्बोधन ग्रुप अध्यक्ष कमलेश जैन ने देते हुए सेवा प्रकल्प व संस्थापक अध्यक्ष द्वारा लिखी गई पुस्तक के बारे में जानकारी दी। सचिव अजय सिसोदिया ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। एम्बुलेंस की चॉबी एम्बुलेंस संचालन समिति व संस्थापक अध्यक्ष श्री श्रेणीक जी जैन, पूर्व अध्यक्ष श्री निर्मल लुनिया, श्री उपेन्द्र कोठारी, श्री राजेन्द्र दरडा, श्री महेन्द्र कोचर, श्री अशोक बरमेचा ने समिति को सौपी। संचालन डॉ. मनोहर जैन ने किया। आभार चन्द्रसेन गढ़िया ने माना।
1999 से शुरू की एम्बुलेंस
मानवता की सोच रखते हुए जैन सोश्यल ग्रुप द्वारा 1999 में ग्रुप के अध्यक्ष रहे महेंद्र गादिया के कार्यकाल में एम्बुलेंस की शुरूआत की गई थी। इसके बाद लगातार परिवर्तन के साथ विमल छाजेड़, राजेन्द्र दरड़ा के कार्यकाल में भी एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई। अब पुनः वर्तमान अध्यक्ष कमलेश जैन के कार्यकाल में वर्तमान स्थिति को देखते हुए बड़ी एम्बुलेंस पीड़ित की सेवा के लिए ग्रुप के सभी सदस्यों के सहयोग से उपलब्ध कराई गई है।
कर्म के साथ धर्म को जोड़ने वाला सफल इंसान
ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष श्री श्रेणिक जी जैन ने अपनी लिखी हुई पुस्तक के बारे विचार रखते हुए कहा कि कर्म के साथ धर्म को जो जोड़ लेता वह हमेशा उन्नति करता है। जो भाग्य में लिखा है वह मिलेगा ऐसा नही है, भाग्य तो बदल भी सकता है। मेने कभी नहीं सोचा था कि में अपने जीवन के बारे में किताब लिख पाऊंगा। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति में अपार संभावनाएं, असीम क्षमताएं रहती है जो कि असाधारण कार्य को भी साधारण कर देती है। आगे बढ़ने के लिए योजना बनाए। आत्मविश्वास कम न होने दे। आगे बढ़ने के लिए सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ने की कोशिश करे, समय लगेगा, लेकिन सफलता अवश्य मिलेगी। वरिष्ठ सदस्य श्री फतेहलाल कोठारी ने कहा धर्मार्थ व पूण्य के साथ जो भी व्यक्ति काम करेगा उसे सफलता अवश्य मिलती है। संघर्ष के बाद एक मंजिल मिलती है जहां सुख मिलता है। इसलिए संघर्ष से घबराएं नहीं। श्रेणिक जी द्वारा लिखी गई की किताब एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। विनोद मेहता ने 24000 दिन पुस्तक को धर्म व कर्म का समन्वय बताया है। महेंद्र गादिया ने कहा कि श्रेणिक जी ने एक छोटा सा बीज बोया था जो कि आज वट वृक्ष का रूप ले चुका है। सेवा प्रकल्प को आगे लगातार बढ़ाया जा रहा है। पढ़ना आसान है लेकिन पुस्तक लिखना कठिन होता है। एक लेखक भी जीवन लगा देता है। लेकिन श्रेणिक जी ने तो अपने जीवन की पूरी लेखनी लिख दी।
अतिथियों का स्वागत व बहुमान सभी पूर्व अध्यक्ष पदाधिकारी के साथ इन्दरमल जैन, अनिल नवलक्खा सुनील जैन, राजकुमार गांधी, हिम्मत गेलड़ा, राजेन्द्र मेहता ने व राकेश जैन इंदौर का स्वागत प्रकाश कोठारी, संजय भंडारी, सुभाष मंडलेचा, राजेन्द्र नवलक्खा, कमलेश मोदी, देवेंद्र चोपड़ा, सुधीर पाटोदी आदि सदस्यों ने किया। श्रीमति चन्दनबाला जैन व सुरभि जैन का स्वागत मीना लुनिया, मीना गादिया, संगीता दरड़ा, सुमन कोचर ने किया। डॉ कीर्ति शाह का एम्बुलेंस संचालन हेतु बहुमान किया व चालक जाकिर का भी स्वागत सम्मान किया।