रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। दशहरे के पावन पर्व पर रतलाम के नेहरू स्टेडियम में आयोजित मुख्य समारोह में रावण दहन के तीन प्रयासों के बावजूद पुतला न जलने की घटना ने पूरे शहर में राजनीतिक हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने शुक्रवार को इस घटना को रतलाम नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार का जीवंत उदाहरण बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष शांतिलाल वर्मा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने नायब तहसीलदार रामचंद्र पांडे को उज्जैन संभाग आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि रावण का तीन बार प्रयास करने के बावजूद न जलना, नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा और भविष्य में संभावित अशुभ घटनाओं का संकेत है।
धार्मिक दृष्टिकोण से भी चिंता
कांग्रेस ने दावा किया कि शास्त्रों और शक्तिपीठ के शंकराचार्यों के अनुसार रावण का न जलना शहरवासियों के लिए मानसिक, आर्थिक और सामाजिक संकट ला सकता है। इसके निवारण के लिए धार्मिक अनुष्ठान कराने की मांग की गई।
‘महापौर दें इस्तीफा, विधायक मांगे माफी’
शहर अध्यक्ष वर्मा ने कहा कि यह घटना धार्मिक आस्था पर आघात है। इसके लिए महापौर प्रहलाद पटेल को तत्काल त्यागपत्र देना चाहिए और विधायक चेतन्य काश्यप को जनता से माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ने तंज कसते हुए कहा कि निगम के भ्रष्टाचार से दुखी होकर रावण ने भी जलने से इनकार कर दिया। भगवान कभी-कभी अहंकारियों को चेतावनी देता है।
नेताओं की अनुपस्थिति पर उठे सवाल
पूर्व अध्यक्ष महेंद्र कटारिया ने सवाल उठाया कि रावण दहन के समय विधायक, महापौर और भाजपा पार्षद आखिर स्थल से गायब क्यों हो गए? उन्होंने चेतावनी दी कि जनता आगामी चुनाव में इन्हें सत्ता से बाहर कर देगी।
3 लाख में बना 50 हजार का रावण
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि नगर निगम 50% से अधिक भ्रष्टाचार में लिप्त है। सिवरेज, जलप्रदाय, सड़कों और खरीदारी में भारी गड़बड़ी की जा रही है। 50-60 हजार रुपये में बनने वाले रावण का पुतला निगम ने करीब 3 लाख रुपये में तैयार कराया।
कांग्रेस का जोरदार प्रदर्शन
विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नगर विधायक मुर्दाबाद और महापौर मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए विरोध जताया। कार्यक्रम में यास्मीन शैरानी, कमरुद्दीन कछवाया, राजीव रावत, बसंत पंड्या, वीरेंद्र प्रताप सिंह, हितेश पेमाल, पियूष बाफना, नासिर कुरेशी सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।


