रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
रतलाम के नगरीय निकाय चुनाव-2022 के घमासान के बीच डी-लिस्टिंग का मुद्दा गरमा चुका है। वार्ड नंबर-10 अनुसूचित जनजाति महिला हेतु आरक्षित है। अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित सीट पर कांग्रेस की ओर से ईसाई समाज की महिला प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने की शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग पहुंची। धर्मांतरण के बाद ईसाई समाज की महिला को अनुसूचित जनजाति महिला के आरक्षित सीट पर प्रत्याशी बनाए जाने पर जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
बुधवार को जनजाति विकास मंच के प्रतिनिधि मंडल ने जिला निर्वाचन अधिकारी नरेंद्र सूर्यवंशी के नाम एसडीएम संजीवकुमार पांडेय् को लिखित शिकायत सौंपी। प्रतिनिधि मंडल ने शिकायत की प्रति ई-मेल और फेक्स के माध्यम से राज्य निर्वाचन विभाग को भी भेजी है। मंच के कैलाश निनामा, संजय निनामा, राकेश डिंडोर एवं सुमित कुमार ने बताया कि रतलाम नगरीय निकाय-2022 के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। रतलाम नगरीय निकाय -2022 के चुनाव अंतर्गत वार्ड नंबर-10 जो कि अनुसूचित जनजाति महिला हेतु आरक्षित है। उक्त वार्ड में गैर जनजाति महिला अलीशा डेनियल एक राष्ट्रीय पार्टी से चुनाव प्रत्याशी हैं। वार्ड पार्षद के लिए प्रत्याशी बतौर अलीशा डेनियल पर मंच की ओर से फर्जी प्रमाण-पत्र के माध्यम से निर्वाचन विभाग को भ्रमित करने का गंभीर आरोप भी लगाया गया। जनजाति विकास मंच के प्रतिनिधि मंडल ने वार्ड नंबर-10 से प्रत्याशी अलीशा डेनियल का नामांकन निरस्त कर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
धर्मांतरण के बाद जनजाति का संरक्षण असंवैधानिक!
डीलिस्टिंग मुद्दे को वंदेमातरम् न्यूज के माध्यम से इस तरह समझ सकते हैं। मिशनरीज बेस्ट कन्वर्जन अभियान ने जनजाति वर्ग के लाखों लोगों को जनजाति हिंदू से ईसाई बना दिया। उनके नाम और उपनाम से ही स्पष्ट है कि वे अपनी जनजाति पहचान को विलोपित कर चुके हैं। यानी वे मूलत: जनजाति से ईसाई या अन्य धर्म में स्थानांतरित हो चुके हैं। भारतीय संविधान धार्मिक आधार पर किसी भी विशेषाधिकार को निषिद्ध करता है। इसलिए जो लोग हिंदू धर्म छोड़ चुके हैं, उन्हें जनजाति का संरक्षण अंसवैधानिक है।