असीम राज पांडेय, रतलाम। जिले में सुरक्षा की कमान संभालने वाले कप्तान ने पिछले दिनों पिपलौदा और जावरा सिटी थाने के आधा दर्जन खाकीधारियों को जमा कर सवालों को जन्म दिया है। चौराहों पर चर्चा है कि जमा हुए खाकीधारियों ने नामली थाना अंतर्गत एक वाहन से करीब 10 क्विंटल से अधिक मात्रा में मादक पदार्थ डोडाचूरा पकड़ा था। वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई के लिए 1 क्विंटल 80 किलो मादक पदार्थ (डोडाचूरा) छोड़ा गया था। शेष 8 क्विंटल 20 किलो से अधिक का डोडाचूरा खाकीधारियों ने मुख्य तस्कर (जिससे वाहन चालक खरीदकर लाया था) को वापस लौटा दिया। मादक पदार्थ (डोडाचूरा) और वाहन जब्ती की कार्रवाई के लिए खाकीधारियों के जादूगरों ने नामली, पिपलौदा और जावरा शहर थाने में गुहार लगाई। थाना प्रभारियों ने जादूगरों की जादूगरी को भांपते हुए अपने थाने पर मुकदमा दर्ज करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद जादूगर खाकीधारियों ने बड़ावदा थाना क्षेत्र के प्रभारी को झांसे में लेकर उन्हें मादक पदार्थ और वाहन के साथ आरोपी सौंपा। सजी हुई थाली देखकर बड़ावदा क्षेत्र के चौकी प्रभारी भी खुश हुए और जांच बगैर मुकदमा दर्ज कर लिया। ये अंदर की बात है… कि कप्तान ने महकमें को बदनामी से बचाने के लिए प्रशासनिक दृष्टि को ध्यान में रखते हुए आधा दर्जन खाकीधारियों को जमा कर मामले को रफा-दफा कर दिया। सवाल अब यह है कि जादूगर खाकीधारियों ने 8 क्विंटल 20 किलो से अधिक मादक पदार्थ डोडाचूरा बेचा या वापस किया, वह कौन है और अभी कहां है? क्या कप्तान अब मामले की जांच करवाकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।

फूलछाप की किरकिरी कराने वाले रेस से बाहर
फूलछाप पार्टी इन दिनों संगठन चुनाव के माध्यम से जमीनी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर रही है। चार दिन पहले सैलाना रोड स्थित होटल में रतलाम शहर के अलावा सैलाना और आलोट के मंडल अध्यक्षों के लिए रायशुमारी हुई। मंडल अध्यक्षों के चुनाव प्रक्रिया में आपसी अंदरूनी खींचतान खुलकर देखने को मिली। शहर के पांच मंडल अध्यक्षों में तीन अध्यक्षों की कार्यप्रणाली से कार्यकर्ता और संगठन दोनों खुश हैं, इसलिए तीनों मंडलों में पुराने अध्यक्ष रिपिट होना लगभग तय है। अब शेष दो मंडलों में एक मंडल के वर्तमान अध्यक्ष उम्र के मापदंड से दौड़ से बाहर हैं। इनकी जगह पार्टी महिलानेत्री को नेतृत्व सौंप रही है। इसके अलावा संगठन ने एक अन्य वर्तमान मंडल अध्यक्ष को भी नए अध्यक्ष की रेस से बाहर कर दिया है। कारण यह है कि वर्तमान इन मंडल अध्यक्ष से न तो पार्टी खुश है और न ही कार्यकर्ता। ये अंदर की बात है… कि यह वही मंडल अध्यक्ष (नेताजी) हैं जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के रतलाम दौरे के दौरान प्रोटोकॉल के विपरित काले झंड़े दिखाने की धमकी देकर पार्टी की किरकिरी करवाई थी। इसके अलावा पार्टी के पास इनके खिलाफ यह भी शिकायत पहुंची है कि यह समय-समय पर कार्यकर्ताओं को मिलने वाले खर्चे भी खुद डकार जाते हैं। कार्यकर्ताओं ने प्रमुखता से यह भी शिकायत की है कि पार्टी ने इनकी पत्नी को पार्षद बनवा दिया है तो अब संगठन में जिम्मेदारी दोबारा क्यों?
जिम्मेदार नाकाम और मुखिया ने संभाली कमान
शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए नगर सरकार के मुखिया सडक़ों पर उतरे हैं। रोजाना अलग-अलग वार्डों में सफाई मित्रों की गैर हाजिरी कार्रवाई का कारण भी है। सफाई की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी और विभाग प्रभारी की नाकामी का नतीजा यह है कि वर्तमान में मुखिया के अलावा निगम के प्रशासनिक मुखिया सघन दौरे में जुटे हैं। चौराहों पर चर्चा के दौरान सवाल उपज रहा है कि भारी-भरकम सफाई मित्रों के विभाग में आखिर कौन सफाई नहीं करने दे रहा है? आमजन के जेहन में खड़े हुए सवाल का उत्तर चर्चा में ऐसा है कि अधिकारी की योग्यता के विपरित अगर पदोन्नति हो जाए तो शहर की सफाई व्यवस्था चरमराना लाजमी है। ये अंदर की बात है… कि वार्ड में कर्मचारियों की शत-प्रतिशत हाजिरी मिली भगत से होती है। अधिकारी की सांठगांठ कुछ ऐसी है कि वह दरोगा व प्रभारी हाजिरी लगाने में मनाही नहीं कर सकते हैं। जिम्मेदार भी फिजिकल वेरिफिकेशन बगैर बिल आगे भेज देते हैं। खातों में पगार पहुंचने के बाद सांठगांठ करने वाले अपने हिस्से की राशि प्राप्त कर अपने कर्तव्य से इतिश्री करते हैं। हालांकि यह व्यवस्था परंपरागत है, लेकिन अब जो अधिकारी बैठे हैं उनकी काबलियत अपनी पदोन्नति को छोडक़र शहर के स्वच्छता सर्वें में क्यों नजर नहीं आ रही? यह सवाल शहर के हर आम और खास के जेहन में जन्मा हुआ है।