असीम राज पांडेय, रतलाम। जमीनों की जादूगरी में माहिर कॉलोनाइजर “झाली” को खाकी 11 माह बाद भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है। कॉलोनाइजर “झाली” की मुश्किलें तब बढ़ी जब न्याय के मंदिर से अग्रिम जमानत की याचिका खारिज हुई या फिर जुगाड़ नहीं बैठने पर आवेदन वापस लिया गया। इसके पूर्व खाकी जज बनकर आरोपी “झाली” को क्लीन चीट दे चुकी थी। “झाली” भले ही दिखावे के लिए गायब हुआ है लेकिन छोटे से छोटे अपराध में सायबर सेल और सीसीटीवी खंगालने वाली पुलिस ने अभी तक आरोपी “झाली” का सुराग नहीं जुटा सकी है। ये अंदर की बात है… कि “झाली” का मोबाइल चालू है और उसने न्यायालय से मुश्किलें बढ़ने के बाद अब सार्वजनिक आयोजन से दूरी बनाई है। पहले भी “झाली” को गिरफ्तार नहीं कर पाने वाली खाकी ने समय-समय पर सवाल खड़े होने पर जवाब दिए थे कि “झाली” इस प्रकरण में आरोपी नहीं है। प्रशासन स्तर की जांच को कटघरे में खड़े कर खुली फिजां में घूमने वाला “झाली” को कोर्ट से झटका लगा तब हरकत में आई खाकी ने आरोपी के आलीशान बंगले पर दबिश दी। महकमें के साथ चौराहों पर चर्चा कि खाकी ने दबिश महज दिखावें भर के लिए दी थी, क्योंकि “झाली” की मुश्किलें बढ़ने के साथ 11 माह में गिरफ्तारी के सवाल पर खाकी भी घिर गई थी।

संपत्ति वाले विभाग को हुआ 67 हजार का नुकसान
दो दिन पूर्व सत्ताधारी पार्टी का जिला मुख्यालय पर कार्यालय निर्माण के लिए जमीन खरीदी की प्रक्रिया के बाद रजिस्ट्री हुई। फूलछाप पार्टी के प्रदेश स्तर के नेताजी संपत्ति का लेखा-जोखा कराने रतलाम पहुंचे। संपत्ति के लेखा-जोखा विभाग में निर्धारित समय का स्लॉट बुक होने के बाद जब बाजार में फूलछाप कार्यालय के लिए जमीन खरीदी की खबरे पहुंची तो सोशल मीडिया से लेकर चौराहे पर चर्चा ने जन्म दे दिया। सोशल मीडिया पर संदेशों के माध्यम से और चौराहों पर शीतलहर के बीच चाय की चुस्कियों के साथ आमजन चर्चा करते नजर आए कि आज तो संपत्ति का लेखा-जोखा करने वाले कार्यालय को 1 प्रतिशत राशि का नुकसान हो गया। चर्चा ने जोर इसलिए पकड़ा कि जब आम आदमी संपत्ति खरीदने के दस्तावेज तैयार करवाने इस कार्यालय में जाता है तो मुनिम के माध्यम से उन्हें स्टॉम्प शुल्क के अतिरिक्त खर्चा-पानी के नाम पर 1 प्रतिशत अवैध शुल्क वसूला जाता है। खर्चा-पानी के शुल्क में जब खरीददार ना-नुकर करता है या अपनी पहुंच बताने की कोशिश करता है तो इस कार्यालय की लिंक फैल हो जाती है। नतीजतन स्वरूप हारकर संपत्ति खरीदने वाले को मुनिम के माध्यम से 1 प्रतिशत का चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। ये अंदर की बात है… कि दो दिन पूर्व फूलछाप पार्टी के कार्यालय निर्माण की जमीन के लिए 67 लाख रुपए की रजिस्ट्री में खर्चा-पानी वाले विभाग को सीधे-सीधे 67 हजार का नुकसान हुआ है, जिससे आमजन को काफी सुकून है।
जमीन की शिकायत में ऐसा खेला दूसरे में नहीं
जिले में जमीन के पारिवारिक विवाद और शिकायतों में ऐसा खेला है जो कि दूसरे में नहीं। वाक्या कुछ ऐसा है कि जिले में जमीन के तीन अलग-अलग मामलों में हाथ रंगवा चुके जिम्मेदारों के बाद भी जिले के बंदोबसिया अमले की कारस्तानी को लेकर अलर्ट नजर नहीं आ रहे हैं। नामली थाने के दो तारों के साहब के अलावा पंचेड़ में पटवारी और हाल ही में नामली तहसील कार्यालय का एक बाबू रंगे हाथ पकड़ने वाली टीम के हत्थे चढ़े हैं। देश और प्रदेश के मुखिया आमजन से संवाद के दौरान भले ही सुशासन के दावें भर रहे हैं, लेकिन सरकारी कार्यालय में शिकायत के साथ भेंट स्वरूप राशि चढ़ाए बगैर कोई काम नहीं होता। इसमें सबसे ज्यादा खेला जमीन नापने वाले विभाग में हो रहा है। जिले में जमीन नापने वाले विभाग के अलावा खाकी के पास शिकायत पहुंचते ही ऐसा चकरा घुमाया जाता है कि शिकायतकर्ता परेशान होकर संभाग के एक हाथ रंगने वाले कार्यालय में दौड़ लगाता है। ये अंदर की बात है… कि संभाग की टीम ने जिले में हाल ही में तीन भ्रष्ट कर्मचारियों को भले ही रंगेहाथ गिरफ्तार किया हो लेकिन सिस्टम में फैली गंदगी को साफ करने के लिए जिले के बंदोबसिया सहित अन्य जिम्मेदार सुस्ता रहे हैं। नतीजतन भ्रष्ट सिस्टम के लिए मातहतों के हौंसले बुलंद हैं।