असीम राज पाण्डेय, रतलाम। महिला सुरक्षा के नाम पर तैनात थाने में दो माह पहले कुछ ऐसा खेल हुआ कि खुद कानून भी शर्मा जाए। बीमारी का बहाना बनाकर ड्यूटी से दूर रहने में माहिर तीन तारों वाली मैडम और एक तारे के साहब ने मिलकर ऐसा जादू किया कि नियमों को धता बताकर 25 हजार के चढ़ावे में आंखों पर पट्टी बांध ली। कहानी में ट्विस्ट यह कि एक महिला ने 15 वर्षीय किशोर को प्रेमजाल में फंसाया और ब्लैकमेल किया और जब मामला थाने पहुंचा तो ‘खाकी की आंखों’ पर 25 हजार की पट्टी बंध गई। नतीजा किशोर पर दुष्कर्म की धाराएं चस्पा कर उसे सीधा बाल संप्रेक्षण गृह रवाना कर दिया। जब सच्चाई सामने आई तो आदिवासी अंचल से बीमारी का बहाना बनाकर महिला थाने की जिम्मेदारी लेने वाली मैडम को नोटिस मिल गया। ये अंदर की बात है… कि एक तारे के साहब थाने में अब भी जादूगरी का खेल दिखा रहे हैं। यह एक तारे के साहब वहीं है जो खाकी की आड में फरियादी और आरोपी पक्ष को काले कोट का पता बताकर थाने में बैठकर दलाली भी बखूबी करते है।

घोटालों की रेस में पारंगत अब ट्रांसफर की ट्रेन में सवार
रतलाम के सफाई, सड़क और जल सप्लाई विभाग में घोटालों की बदबू अब इस कदर फैल गई है कि जिम्मेदार अपनी सीट छोड़ ट्रांसफर की ट्रेन पकड़ने की दौड़ में हैं। दो नंबर की नौकरी के ख्वाहिशमंद साहब कोर्ट से स्टे लेकर बैठे थे और पत्नी की पोस्टिंग का सहारा लेकर ईमानदार बने घूम रहे थे। हाल ही में सरकार ने पत्नी को भी उनके पास भेजने का बंदोबस्त कर दिया। विभाग के बड़े बाबू ने मुख्यालय की पुरानी कुर्सी पकड़ ली। इसी विभाग में कुछ घंटों पहले जारी हुई एक नई तबादला सूची में तीन और अधिकारी-कर्मचारियों के नाम शुमार है। प्रमुख रूप से रतलाम की सफाई को चौपट करने में माहिर साहब भी दांव-पेंच मारकर पहली बार रतलाम से अपने गृहनगर रवाना हुए हैं, क्योंकि यह साहब दैनिक वेतन भोगी से अफसर की कुर्सी पर फर्जीवाड़ा के आरोपों से घिरे हैं। ये अंदर की बात है… कि इस विभाग के बड़े बाबूू से लेकर जितने भी अधिकारी-कर्मचारी भागे हैं, वह सिर्फ अपनी नौकरी बचाने के लिए भागे हैं। इन्हें भ्रम है कि यहां से भागने के बाद इनके काले कारनामों की फाइलें नहीं खुलेंगी। जल्द ही इन्हें हाथ रंगने वाला और आर्थिक अनियमित्ता वाला विभाग चक्कर कटवाने वाला है।
यातायात से ज्यादा नए साहब सोशल नेटवर्किंग में मस्त
नए तीन तारों के साहब के आने से उम्मीद थी कि शहर की चौराहों की दुर्गति सुधरेगी। मगर अफसोस, नए साहब को यारों के स्वागत और फोटो छपवाने से फुर्सत नहीं। ट्रैफिक व्यवस्था चाहे बर्बाद हो पर साहब का सोशल नेटवर्क मजबूत हो रहा है। चौराहों पर चर्चा का बाजार गर्म है कि पुराने साहब कम से कम सड़क पर दिखते तो थे, ये तो सीधे गले में फूलमाला और सोशल नेटवर्किंग में अपने यारों से याराना के फोटो खिंचवाते फिर रहे हैं। चर्चा है कि इन नए साहब के स्वागत और सम्मान में वहीं लोग कतार में डटे हैं जिनके लोडिंग वाले धंधे और विपरीत दिशा में वाहन प्रवेश के ज्यादा काम है। देखना यह है कि नए तीन तारों के साहब का स्वागत और सम्मान और कितने दिन चलेगा, इसके बाद आखिरकार उन्हें सडक़ पर उतरकर शहर की बदहाल व्यवस्था को लेकर तो आगे आना ही है। ये अंदर की बात है… कि शहर की नेटवर्किंग (यातायात) से भले नए साहब आंखें मूंदे बैठे हो, लेकिन सोशल नेटवर्किंग बड़े जोर-शोर से जारी है।

