असीम राज पांडेय, केके शर्मा
रतलाम। जिले की अन्य विधानसभाओं की तुलना में रतलाम शहर में कम फीसद मतदान ने फूल छाप के नेताजी को नाराज कर दिया है। फूल छाप पार्टी ने चुनाव प्रबंधन को शिकायत कर ठिकरा जिला मुखिया पर फोड़ दिया। शांति और शत-प्रतिशत चुनाव की अपील कर जिला की कमान संभालने वाले मुखिया भी उक्त शिकायत से सकते में आ गए। जिले में 83.64 फीसद और आदिवासी बाहुल्य विधानसभा में 90 फीसद से अधिक रिकॉर्ड तोड़ मतदान कराने की खुशी मनाने से पूर्व फूल छाप की शिकायत ने साहब को परेशान कर दिया। साहब भी साहब ही ठहरे…, उन्होंने एक्शन के रिएक्शन में एक ऐसा निर्देश जारी किया, जो कि चौराहों पर चर्चा का विषय बना हुआ है। साहब ने भले ही सड़कों की बदहाली पर जांच के निर्देश दिए हैं लेकिन ये अंदर की बात है कि इन सड़को को फूल छाप पार्टी के करीबियों ने ही बनाई है और उनमें अब खलबली मची हुई है।
ऐसे होते हैं एक पंथ दो काज
देश के प्रधान भले ही भ्रष्टाचार खत्म को लेकर कितने भी दावें कर लें, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर नजर नहीं आ रहा। जिले में शराब माफियाओं को संरक्षण देने के बाद अब जिला मुख्यालय पर तीन तारों के साहब का नवीन कार्यालय निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। इसका निर्माण की लागत निकालने के लिए फरियादी से लेकर आरोपी की रसीद काटने का खेल जोरों पर हैं। महकमें के सूत्र बताते हैं कि पुराने कार्यालय में बंदोबस्त बेहतर नहीं होने पर यह कवायद शुरू की गई है, क्योंकि शासन से जो आवंटन प्राप्त हुआ है वह बेहतर भवन निर्माण में ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। ऐसे में आम जनता की सुरक्षा की कमान संभालने वाले सभी थानों से लेकर चौकियों को टारगेट दिया है कि वह अपने-अपने स्तर पर इस तरह से रसीदें फाड़ें कि मीडिया में भी सराहना मिले और हमारा काम भी हो जाए। ये अंदर की बात है कि वर्षों से अनसुलझे प्रकरण की फाइल को इसलिए तवज्जों दी जा रही है कि उससे मीडिया में सुर्खियां बंटोरने के साथ जाल में फंसने वालों के परिजन से राहत के नाम रसीद फाड़ी जाए।
इस सीट पर जीत नहीं लीड पर चर्चा
रतलाम जिले की एक सीट पर जीत पर नहीं सिर्फ लीड की चर्चा कर रहे हैं। चुनाव की इस परीक्षा में पेपर तो मतदाताओं ने दिए हैं, लेकिन रिजल्ट के इंतजार में नींद नेताओं की उड़ी हुई है। जिले की इस सीट पर सटोरिये हार-जीत में नहीं बल्कि लीड पर दांव खेल रहे हैं। वर्तमान में कोई 50 हजार तो कोई 40 हजार की लीड बताकर राजनीति बिसात पर दांव लगा रहा है। इधर जिले की आदिवासी बाहुल्य विधानसभा पर त्रिकोणीय संघर्ष में हाथ और फूल छाप पार्टी के पदाधिकारी से लेकर सटोरिये अपने-अपने प्रत्याशी की हार-जीत पर नहीं बल्कि मुकाबले में दंभ भरने वाले प्रत्याशी को प्राप्त होने वाले मतदान की संख्या पर चर्चा कर बाजी लगा रहे हैं। ये अंदर की बात है कि रतलाम जिले की एक सीट पर फूल फिर से खिलने का कयास लगाए जा रहे है और आश्वस्त भी, फिर भी नेताजी इस चिंता में डूबे हैं कि उन्हें यह जीत कितनी लीड से मिलेगी।