रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
नगरीय निकाय चुनाव प्रचार के दौरान रतलाम आए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान कह चुके हैं कि मामा के खजाने में कोई कमी नहीं है। इसके बावजूद भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर 11 अगस्त से 17 अगस्त तक हर घर, कार्यालय पर तिरंगा ध्वज लहराने के अभियान में ध्वज क्रय करने के लिए शासकीय कर्मचारियों से राशि ली जा रही है। अलग-अलग विभागों के अधिकारी अपने अपने स्तर पर कर्मचारियों से राशि जमा कराने के लिए आदेश जारी कर चुके है। लेकिन राशि जमा कराने में किसी एकरूपता नहीं है। शिक्षा विभाग ने 500-500 तो कृषि विभाग 1100-1100 रुपए जमा कराने के आदेश जारी कर चुका है। वहीं जिले की सभी ग्राम पंचायतों से 5000-5000 हजार रुपए जमा कराने का दबाव बनाया जा रहा है।
बता दे कि तिरंगा अभियान केंद्र सरकार का अभियान है। पूरे देश में हर घर तिरंगा लहराया जाएगा। अभियान के तहत हर घर व हर एक शासकीय कार्यालय में तिरंगा ध्वज लहराने के लिए शासन ने अलग से कोई आबंटन जारी नहीं किया है। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा सामाजिक संस्थाओं, संगठनों का सहयोग भी लिया जा रहा है। इसके अलावा सभी विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों से राशि ली जा रही है। जबकि कर्मचारियों से राशि लेने के कोई आदेश नहीं है। इस कारण कर्मचारियों में आक्रोश पनप रहा है। कर्मचारियों की माने तो वह इस अभियान में शामिल है लेकिन दबाव बनाकर राशि लेना गलत है। अलग-अलग विभाग प्रमुख द्वारा राशि लेने के लिए पत्र जारी कर स्वैच्छिक रूप से राशि जमा कराने की बात लिखी गई है। हालांकि जो कर्मचारी राशि नहीं देंगे उनकी भी जानकारी विभागों द्वारा मांगी जा रही है।
शत-प्रतिशत वसूली
कर्मचारी संगठनों की माने तो 500 रुपए स्वेच्छिक जमा कराने के नाम पर शत प्रतिशत वसूली की जा रही है। राशि नहीं देने वालों की जानकारी कलेक्टर के सामने रखने की धौंस दी जा रही है। तृतीय वर्ग से 100 की राशि मांगी जाती तो देने में किसी को कोई परेशानी नहीं होती। चूंकि तृतीय वर्ग में भी सबका वेतन समान नहीं है। न्यूनतम 20 हजार माहवार से 75 हजार तक के कर्मचारी कार्यरत है यदि स्वेच्छिक बनाम अनिवार्य चंदा स्लैब को वेतन राशि के मान से 100, 200, 300, 400, 500 में विभाजित करके राशि ली जाती तो छोटे कर्मचारियों पर भार नहीं पड़ता। हर घर तिरंगा फहराने के इस अभियान को यदि वास्तव में स्वेच्छिक ही रखा जाता तो बेहतर होता। अधिक आवश्यक होने पर शासकीय अर्ध शासकीय उपक्रमों और इनमें कार्यरत कर्मचारी, अधिकारियों के निवास पर ध्वज फहराने का टारगेट रखा जाता तो उचित होता।
कहीं 5000 तो कहीं 6000 मांगे जा रहे
इस अभियान में अब जिले की सभी ग्राम पंचायतों से भी 5000-5000 हजार रुपए देने के लिए विभागीय अधिकारियों ने विभागीय ग्रुपों में मैसेज किया है। रतलाम जनपद की सीईओ ने अपनी जनपद के सभी ग्राम पंचायतों से 5000-5000 हजार रुपए तो सैलाना जनपद सीईओ ने 6000-6000 हजार रुपए जमा कराने के आदेश दिए है। जिले की छ: जनपदों को मिलाकर करीब 418 ग्राम पंचायत है। अगर प्रत्येक ग्राम पंचायत से 5000-5000 हजार रुपए भी लिए जाते है तो 20 लाख 90 हजार रुपए एकत्र होते हैं। वहीं अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों से 500-500 रुपए भी लिए जाते है तो जिले में करीब 10 हजार कर्मचारी के माने से करीब 50 लाख रुपए एकत्र होते हैं। राशि एकत्र कर विभागों को जिला पंचायत के अतिरिक्त सीईओ के खाते में जमा कराना है। विभागीय सूत्रों के अनुसार संस्कृति विभाग से जो ध्वज प्राप्त होंगे उनकी एक की लागत करीब 27 रुपए है। जबकि स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार किए जाने वाले ध्वज की लागत इससे भी कम आएगी। ऐेसे में शासन के निर्देश नहीं होने के बावजूद जिला प्रशासन द्वारा सभी विभाग के कर्मचारियों से राशि एकत्र करना समझ से परे हैं। सभी को 22 जुलाई तक राशि जमा कराने के निर्देश है।
देश हित के लिए यह काम हो रहा है तो शासन का सारा खर्च भी शासन को वहन करना चाहिए। हम इस अभियान में शामिल है लेकिन कर्मचारी, शिक्षक को राशि जमा कराने के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। – प्रकाश शुक्ला, संभागाध्यक्ष आजाद अध्यापक शिक्षक संघ
राशि स्वैच्छिक लेना चाहिए ना कि किसी प्रकार का दबाव बनाकर बाध्य करना चाहिए। इस संबंध में कर्मचारी संयुक्त मोर्चा से चर्चा करेंगे। – शरद शुक्ला, जिलाध्यक्ष मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ रतलाम
एक नजर इधर
- – शहर सहित जिले में करीब 3 लाख 2 हजार घरों पर तिरंगा लहराया जाएगा।
- – प्रदेश के संस्कृति विभाग से जिला प्रशासन को 2.50 लाख झंडे दिए जाएंगे।
- – जिला पंचायत के आजीविका मिशन के सहायता समूह भी करीब 52 हजार तिरंगा ध्वज तैयार कर रहे हैं।
- – प्रत्येक ध्वज की साइज 20 बाय 10 रखी गई है।
यह भी सवाल महत्वपूर्ण
- – ध्वज अधिनियम 2002 में झंडा फहराने और उतारने के साथ ध्वज सम्मान की इतनी बड़ी गाइड लाइन दी गई है जिसका हर घर पर पालन होना सम्भव नहीं लगता।
- – कहीं हर घर झंडा लगाना विवाद का कारण न बने।
- – झंडे के लिए ली गई राशि में यदि कोई राशि बच जाएगी तो उसका क्या उपयोग किया जाएगा? यदि बिना शासन आदेश के बची राशि को राष्ट्रीय आपदा फंड में जमा किया जाता है तो कई सवाल भी खड़े होंगे।