
असीम राज पांडेय, रतलाम। जिले की सुरक्षा वाले विभाग के गलियारों में इन दिनों खास खबर चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल मामला कुछ यूं है कि जिले की सुरक्षा की कमान संभालने वाले साहब ने पिछले दिनों दो तारों के साथ सुरक्षा फोर्स के चार जवानों की टीम मादक पदार्थ टॉस्क के लिए बनाई। टीम के प्रमुख दो तारों के साहब मादक पदार्थ की खेती वाले स्थान पर काफी लंबा समय बीताकर नब्ज को पकड़ चुके थे। दो तारों के साहब की काबिलियत पर फिदा होकर बड़े साहब ने उनके नेतृत्व में सुरक्षा फोर्स के चार जवानों को शामिल कर टीम का गठन किया। टीम ने भी रतलाम, जावरा, ताल, आलोट में जमकर धूम मचाई। इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि टीम के नेतृत्वकर्ता ने एक मामले में चढ़ावा पहुंचाए बिना बाहर ही खेल पूरा कर दिया। बड़े साहब के कानों में उक्त खेल की सुगबुगाहट पहुंची तो दो तारों के साहब को सस्पेंड कर पीएचक्यू पहुंचा दिया और सुरक्षा बल के चार जवानों को मूल स्थान पर तैनाती कर दी। ये अंदर की बात है कि सुरक्षा बल के चार जवान को जिले की कमान संभालने वाले साहब ने ही टीम में इसलिए शामिल किया था कि वह सुरक्षा फोर्स का भी दायित्व संभाल रहे हैं।
माननीय को सताने लगी रतलाम की चिंता
लोकसभा चुनाव करीब आते ही संसदीय क्षेत्र के माननीय को रतलाम की चिंता सताने लगी है। राजनीति गलियारों से लेकर चौराहों पर चर्चा है कि साढ़े चार वर्ष तक रतलाम की सुध नहीं लेने वाले संसदीय माननीय ने मेल-जोल बढ़ाने के साथ जनप्रतिनिधियों से अपने निधि से कार्य कराने के लिए डिमांड शुरू कर दी है। इसी कड़ी में शहरी क्षेत्र की सड़कों के निर्माण की एक सूची तैयार हुई है। करीब 7 करोड़ रुपए के एस्टीमेट बनाकर सड़क बनाने वाले विभाग प्रमुख ने प्रस्ताव को राज्य शासन को भेजा है। संसदीय क्षेत्र के माननीय के खर्चे से बनने वाली सड़कों को लेकर वार्ड जनप्रतिनिधि भी अपनी-अपनी डिमांड पत्रों के माध्यम से कर रहे हैं। ये अंदर की बात है कि संसदीय क्षेत्र के माननीय भले ही चुनाव पूर्व रतलाम की अब तक की गई उपेक्षा को पाटने की भले ही कितने ही कोशिश कर लें, लेकिन जनता पिछले साढ़े चार वर्षों तक संसदीय क्षेत्र की निधि से हुई उपेक्षा को नहीं भूलेगी।
फिर शुरू हो गया चंदे का धंधा
रतलाम का एक विभाग इन दिनों फिर से चंदे के धंधे से सुर्खियां बंटोर रहा है। शहर में सुरक्षा के नाम पर कैमरे लगाने का मामला हो या तीन तारों केे साहब की नए सिरे से बैठक के लिए कार्यालय का निर्माण या वर्जिश के लिए जीम निर्माण। सभी कार्यों के लिए जिले की सुरक्षा की कमान संभालने वाले विभाग ने संस्थाओं को परेशान करना शुरू कर दिया है। जिले के सभी थानों को टारगेट सौंपा है कि वह अपने-अपने क्षेत्र की प्रमुख संस्थाओं की रसीद फाड़कर एजेंसियों के नाम चेक और नकद प्राप्त करें। ऐसे में अपराधों के साथ शिकायत निपटाने में जुटे जिम्मेदारों के कंधों पर वजन बढ़ गया है। इधर संस्था भी इस चंदे की शुरू हुई नए सिरे से प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े करने लगे है कि जनप्रतिनिधि आखिर क्यों नहीं टोक रहे हैं? ये अंदर की बात है कि जनप्रतिनिधि इसलिए कुछ भी बोलने से बच रहे हैं कि उनके कार्य उक्त साहब इशारे पर ही कर देते हैं, इसलिए जनप्रतिनिधि को उनके चंदे के धंधे को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं है। इसलिए जनप्रतिनिधि को चंदे के धंधे की कार्यप्रणाली से कोई आपत्ति नहीं है।