– पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों की अनदेखी, मां भटक रही न्याय के लिए दर- दर
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। एक ओर जहां सरकार बच्चों के संरक्षण के लिए सख्त कानून बना रही है, वहीं दूसरी ओर रतलाम पुलिस ने 15 वर्षीय नाबालिग के खिलाफ दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कर बाल संप्रेक्षण गृह भेजे जाने का मामला सामने आया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि शिकायतकर्ता स्वयं 26 वर्षीय महिला होकर दो बच्चों की मां है, जबकि आरोपी एक स्कूली छात्र है।

17 अप्रैल 2025 को दर्ज एफआईआर में महिला ने आरोप लगाया कि 15 मार्च से 16 अप्रैल के बीच उसके साथ रेप हुआ, जिसके आधार पर नाबालिग को हिरासत में लेकर संप्रेक्षण गृह भेजा गया। नाबालिग की मां, जो एक मजदूर महिला है और पति के निधन के बाद अपने दो बेटों के साथ रहती हैं। उसने वंदेमातरम् न्यूज को बताया कि शिकायतकर्ता महिला ही उसके बेटे का शारीरिक शोषण कर रही थी। महिला द्वारा बार-बार अश्लील फोन कॉल्स, वीडियो कॉल और डराने-धमकाने की घटनाएं सामने आई।जब नाबालिग ने महिला के बुलावे पर एक बार मिलने से इनकार किया, तो उसे झूठे केस में फंसाने और बदनाम करने की धमकियां दी गईं। बाद में रेलवे स्टेशन पर बुलाकर महिला के पति और ससुर द्वारा उससे दो लाख रुपये की मांग की गई और न देने पर उसके खिलाफ दुष्कर्म की झूठी शिकायत दर्ज करवा दी गई। यह मामला न्याय व्यवस्था और बाल अधिकारों के संरक्षण पर गहरा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। नाबालिगों को झूठे मामलों में फंसाना उनके मानसिक विकास, शिक्षा और भविष्य को प्रभावित करता है। अतः इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और पीड़ित को न्याय मिले, यह समाज और कानून दोनों की जिम्मेदारी है।
पुलिस पर गंभीर लापरवाही के आरोप
बालक की मां का आरोप है कि उसने रतलाम एसपी अमित कुमार को दो बार लिखित शिकायत दी, जिसमें महिला द्वारा उसके बेटे का यौन शोषण किए जाने की जानकारी दी गई, लेकिन पुलिस ने जांच के नाम पर मामला टाल दिया और उल्टा उसी नाबालिग पर मामला दर्ज कर लिया। नाबालिग की ओर से कानूनी लड़ाई लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित पांचाल का कहना है कि पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) बालकों के संरक्षण के लिए बना है, जिसके अनुसार 18 वर्ष से कम आयु का कोई भी बच्चा अगर यौन अपराध का शिकार होता है, तो आरोपी चाहे महिला हो या पुरुष, उसे कठोर सजा दी जा सकती है। इस प्रकरण में पीड़ित स्वयं एक बालक है, फिर भी कानून को नजरअंदाज करते हुए उसे आरोपी बना दिया गया।
कानून विशेषज्ञों की राय
कानूनी जानकार अधिवक्ताओं की मानें तो यदि नाबालिग की मां के आरोप सत्य पाए जाते हैं, तो महिला पर पॉक्सो एक्ट की धारा 4 (प्रवेशन लैंगिक हमला), धारा 8 (लैंगिक हमला) और धारा 12 (लैंगिक उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज होना चाहिए। साथ ही झूठी शिकायत (IPC 211) और ब्लैकमेलिंग (IPC 384) जैसे प्रावधानों में भी कार्रवाई की जा सकती है।

