असीम राज पांडेय, केके शर्मा
रतलाम। सफाई का जिम्मा संभालने वाले नगर निगम के एक अधिकारी को हटाने के लिए पिछले दिनों नगर सरकार के स्वच्छता के मुखिया ने अगवानी की। खुद ने भी पत्र लिखा और कुछ पार्षदों से भी पत्र लिखवाकर शक्ति प्रदर्शन किया। आला अधिकारियों को पत्र भेज भी दिया। अंदरखाने की मानें तो हटवाने का कारण यह था कि उन्हें (स्वच्छता के मुखिया) सफाई व्यवस्था जम नहीं पा रही थी। अंदर की बात यह है कि पार्षदों से पत्र लिखवाए डेढ़ माह से अधिक समय बीत गया, लेकिन अभी तक इसका असर सामने नजर नहीं आया। ऐसे में जिन्होंने स्वच्छता के मुखिया के कहने पर पत्र लिख कर दिए वह भी समझ नहीं पा रहे है कि आखिर फिर हुआ क्या या हमने (पार्षदों) ने पत्र लिख कर गलती तो नहीं कर दी।
नए फरमान से शराब ठेकेदार परेशान
जिले में 99 शराब दुकान संचालक इन दिनों काफी परेशान हैं। परेशानी का कारण एक नया फरमान जारी होना है। जिले के एक विभाग के मुखिया से फरमान जारी हुआ है। जिसे तामिल कराने का कार्य अधीनस्थ कर रहे हैं। अधीनस्थ भी ऐसे तलाशे गए हैं जो शराब ठेकेदारों के कार्यों की नब्ज समझते हैं। ठेकेदार पसोपेश में है कि वह दुकान क्षेत्र में नजर रखने वालों को संतुष्ट करें या साहब को। फरमान में प्रत्येक ठेकेदारों को पांच अंकों की राशि महीने की सुनाई गई है, उसे सुनकर सभी ठेकेदारों के होश उड़े हुए हैं। नए फरमान से ठेकेदार के साथ विभाग के मातहत भी परेशान होने लगे हैं। मातहतों की परेशानी यह है कि साहब के फरमान के बाद उन्हें अब ठेकेदार से मिलने वाली दक्षिणा में कटोत्री होगी या फिर कुछ भी नहीं मिलेगा। ऐसे में कुछ मातहत जो हाल ही में मुख्यालय में भेंट चढाकर आए हैं वह सभी अवसाद में होकर नए सिरे से स्थानांतरण की कवायद के लिए भोपाल में जुगत लगाने लगे हैं। ये अंदर की बात है कि फरमान को तामिल कराने में जुटे अधीनस्थ पूरजोर कोशिश कर साहब से अपने नंबर बढ़ाने में लगे हैं।
एक माह में नामली थाने में पांच प्रदर्शन का रिकॉर्ड
जिले के थानों पर नए सिरे से हुई पदस्थापना के बाद नए साहबों के कारनामें सुर्खियां बंटोर रहे हैं। कुछ थानों के टीआई डायरी सिस्टम की कार्यप्रणाली से बाहर नहीं निकल पा रहे तो कुछ जहां से स्थानांतरित होकर आए हैं उसी के अनुरूप नए थाने को चलाने की कोशिश में है। स्थिति को भांपने में नाकाम नवागत नामली थाना प्रभारी ने 13 अगस्त को चार्ज संभाला। पिछले एक माह में साहब का रवैया ऐसा रहा कि आरोपियों पर कार्रवाई के लिए अब तक पांच बार थाने पर धरना प्रदर्शन का एक नया रिकॉर्ड बन गया है। जनता और नेताओं से संवाद और सामांजस्य की कमी के चलते सभी को प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा और थाने का घेराव हुआ। ये अंदर की बात है कि इन साहब की डायरी सिस्टम की कार्यप्रणाली में भी कार्य संतोषप्रद नहीं है। आमजन में सवाल यह है कि मनमानी बरतने वाले साहब पर वरिष्ठ अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे ?