रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
हमारे दौर की संवादहीनता और रचनाशीलता के प्रति कम होती प्रवृत्ति को नया आयाम देने के उद्देश्य से शहर में रचनात्मक आयोजन “सुनें-सुनाएं “ की शुरुआत हुई। शहर में रचनात्मक वातावरण को तैयार करने और लोगों के बीच स्वस्थ संवाद की परंपरा को कायम करने के उद्देश्य से प्रारंभ इस रचनात्मक पहल के पहले सोपान पर महत्वपूर्ण रचनाकारों की रचनाओं को न सिर्फ पढ़ा गया बल्कि उन पर सार्थक विमर्श भी हुआ।
रंगकर्मी कैलाश व्यास ने डॉ शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘जो समेट रहे हो वह सपना है, जो लुटा रहे हो वह अपना है ‘ का पाठ कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके उपरांत विष्णु बैरागी ने व्यंग्यकार शरद जोशी के व्यंग्य ‘मेरी हवाई यात्रा’ और ‘अध्यक्ष महोदय’ का पाठ किया। इन दोनों रचनाओं पर उपस्थितजनों ने संवाद किया एवं शरद जोशी से जुड़े रतलाम के प्रसंगों को प्रस्तुत कर आपसी संवाद की परंपरा को कायम किया।
संवाद में डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला , त्रिभुवनेश भारद्वाज, सुभाष जैन, गुस्ताद अंकलेसरिया , शोभना तिवारी, विनोद झालानी, डॉ संजय वाते,आई.एल.पुरोहित, सुशीला कोठारी, सविता तिवारी, रश्मि पंडित, मयूर व्यास, अनिल झालानी, ओम प्रकाश मिश्रा, नीरज शुक्ला, नरेंद्र जोशी, सुरेंद्र छाजेड़, जयंतीलाल चौधरी, राधेश्याम शर्मा, महावीर वर्मा, आशीष दशोत्तर ने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
उपस्थित सुधिजनों ने कहा कि रतलाम शहर में अभी कोई ऐसा संवाद स्थल नहीं है जहां बैठकर रचनात्मक विमर्श किया जा सके। साहित्यिक, सांस्कृतिक और कला क्षेत्र से जुड़ी चर्चा की जा सके। इसी कारण शहर में नई पीढ़ी के बीच रचनात्मकता का अभाव परिलक्षित हो रहा है। इसी की चिंता करते हुए शहर के रचनात्मक गतिविधियों से जुड़े बंधुओं द्वारा ‘सुनें- सुनाएं’ पहल सराहनीय है।
मासिक आयोजित होंगे कार्यक्रम
आयोजन में बताया गया कि यह कार्यक्रम होगा, जो मासिक रूप से आयोजित किया जाएगा। इस आयोजन में कोई भी व्यक्ति अपनी रचनाओं का पाठ नहीं करेगा सिर्फ़ अपनी पसंद के किसी रचनाकार की रचना का ही पाठ करेगा। बैठक में अगले आयोजन में पढ़ी जाने वाली रचनाओं पर भी चर्चा की गई। उपस्थित हर व्यक्ति हर आयोजन में किसी रचनाकार की रचना को प्रस्तुत करें ही। सिर्फ श्रोता के रूप में भी इसमें शामिल हो सकते हैं । यह पूरी तरह अनौपचारिक एवं रचनात्मक आयोजन होगा। इसमें किसी भी तरह का आग्रह, दुराग्रह, पूर्वाग्रह भी नहीं होगा।