
असीम राज पाण्डेय, रतलाम। आदिवासी बहुल थाना क्षेत्र में हाल ही में एक एनिमल फॉर्म हाउस पर 21 जुआरियों के साथ 2 लाख 41 हजार 350 रुपये की जब्ती की गई। खाकीधारी इस “साहसिक” कार्यवाही का सेहरा बांध फोटो खिंचवाने में व्यस्त रहे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है। कहानी की शुरुआत होती है थाने के एक खास नगर सैनिक से, जिसने साहब के कान में फूंस-फूंसाकर राजस्थान के दानपुर सीमा पर चल रहे एक अड्डे को स्थानीय एनिमल फॉर्म हाउस में ‘केसर की खुशबू’ के बीच बैठाने का न्योता भिजवाया। नतीजा चार दिन खुलेआम जुएं की महफिल जमी रही। कार्रवाई हुई लेकिन सवालों की भीड़ भी साथ लाई। अड्डा संचालक और एक विशेष वर्ग का दाढ़ीधारी बाजीगर मौके से कैसे ‘गायब’ हो गया, जबकि फार्म हाउस में केवल एक ही गेट है? ये अंदर की बात है…कि जब्ती गई रकम का केवल एक तिहाई ही रिकॉर्ड में चढ़ाया गया, बाकी ‘सिस्टम’ में घुल गया। साहब का बंद कैबिन उस दिन सौदेबाजी का साक्षी रहा।
फूलछाप छात्र और 11 हजार की राजनीतिक शिक्षा
जिले के एक सरकारी कॉलेज में सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े छात्र संगठन के दो छात्रों पर कॉलेज की प्राचार्या ने पुलिस से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंचा दी है। आरोप गंभीर हैं 11 हजार की अवैध वसूली, धमकियां और ट्रांसफर के नाम पर दबाव। प्राचार्या डरी हुई हैं, क्योंकि जिन छात्रों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी थी, वे अब उन्हें ही शिकंजे में लेने पर उतारू हैं। ये अंदर की बात है…कि यह पहला मामला नहीं है। सत्ताधारी छात्र संगठन पहले भी शैक्षणिक संस्थानों में अवैध उगाही के आरोपों में चर्चित रहा है। अब सवाल यह है कि फूलछाप पार्टी संगठन विस्तार की होड़ में लगे रहेंगे या अंदर छिपे “माफिया छात्र नेताओं” को बाहर का रास्ता दिखाएंगे?
चाय के नाम पर निगम का भ्रष्टाचार मॉडल
रतलाम नगर निगम की बड़ी घोटालों की लिस्ट में अब छोटे कर्मचारी भी नाम रोशन कर रहे हैं। वो भी महज 5 हजार की ‘चाय’से। हालिया घटना में एक कॉलोनी में आग बुझाने पहुंची टीम ने पीड़ित महिला से चाय के नाम पर 5 हजार रुपये मांगे। आग की घटना से स्तब्ध महिला ने घबराकर 3 हजार देकर छुटकारा पाया लेकिन अगली सुबह वो शिकायत लेकर निगम पहुंची। महिला की गंभीर शिकायत पर वर्कशॉप प्रभारी की ‘मैनेजमेंट स्किल्स’ देखने लायक थीं। दोषियों की बजाय न पटने वाले को सस्पेंड किया और बाकी को ‘नोटिस की नौटंकी’के जरिए बचा लिया गया। ये अंदर की बात है… कि निगम के ये मैनेजर अवैध निर्माण से लेकर ईंधन घोटाले तक में पारंगत हैं। बड़े अफसर लाखों की डील में और छोटे कर्मचारी 5 हजार की चाय से संतोष कर लेते हैं। यही है हमारा स्वदेशी निगम का भ्रष्टाचार मॉडल है।