मावता से केके शर्मा
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
रतलाम जिले के वीर सपूत का पार्थिव देह ग्राम मावता पहुंचने के बाद भी परिजन शहादत के कारणों से अनजान रहे। शव पेटी पर तिरंगा नहीं लिपटा देख परिजन व ग्रामीणों में नाराजगी पनपी और अंतिम यात्रा निकालने से पहले घर के बाहर धरने पर बैठ गए। भारतीय सेना के उच्चाधिकारियों की ओर से मिले आश्वासन के बाद पार्थिव देह को मुक्तिधाम ले जाया गया।
दोपहर 2.15 पर छोटे भाई विशाल कुमावत ने पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। बड़ी संख्या में अंतिम यात्रा में शामिल लोगों की आंखे नम थी।
मणिपुर के इम्फाल में बुधवार सुबह 22 वर्षीय लोकेश कुमावत गोली लगने से शहीद हो गए थे। शुक्रवार सुबह लोकेश कुमावत का पार्थिव देह इंदौर एयरपोर्ट से गांव मावता लाया गया। महज 22 वर्ष की उम्र में रतलाम के लाल लोकेश कुमावत की शहादत के पीछे ड्यूटी के दौरान माओवादी की गोली लगना कारण बताया जा रहा है, लेकिन इसकी अभी तक भारतीय सेना से अधिकृत पुष्टि नहीं होने की बात सामने आ रही है। शहादत के कारण से अनभिज्ञ रहे परिजन शुक्रवार को सब्र खो बैठे और ग्रामीणों के साथ ग्राम मावता स्थित घर से अंतिम यात्रा निकालने से पहले धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। पार्थिव देह लेकर आए भारतीय सेना के जवानों ने परिजन को उच्चाधिकारियों से मोबाइल फोन पर चर्चा कर आश्वासन दिलाया, इसके बाद परिजन और ग्रामीण अंतिम यात्रा के लिए रवाना हुए। मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार के पूर्व शव को बॉक्स से बाहर नहीं निकालने के अलावा शोक फायर नहीं होने पर ग्रामीणों के बीच तरह-तरह की अटकले चर्चा का विषय बनी रही।
मुद्दे पर पिता मुकेश कुमावत ने बताया कि हमारी मांग थी सैन्य सम्मान दिया जाए, लेकिन नहीं दिया। मौत कैसे हुई यह भी नही बताया। सेना के अधिकारी ने आश्वासन देने के बाद शव यात्रा निकाली। अधिकारी तहकीकात की बात कह रहे हैं।