
– खबर इसलिए है जरूरी की आपके विश्वास को कौन दे रहा धोखा, आप जो वस्तु खरीद रहे कहीं आपको न कर दे बीमार
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम सहित जिले में मिलावट का खेल बदस्तूर जारी है। जिला मुख्यालय स्थित सज्जन मिल रोड की फायदा बाजार से लेकर सैलाना के देवेंद्र स्वीटस के सैंपल जांच में अमानक पाए गए हैं। इसकी पुष्टि खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग ने की है। विभाग द्वारा पिछले तीन माह में लिए गए करीब 250 खाद्य पदार्थों के सैंपल में से 109 सैंपल की जांच रिपोर्ट विभाग को प्राप्त हुई है। इसमें 13 खाद्य वस्तु की सैंपल रिपोर्ट मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालने वाली पाई गई है।
रतलाम जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी कमलेश जमरा ने बताया कि जिले के जिन संस्थाओं के खाद्य पदार्थ नमूने अवमानक पाए गए हैं। उनमें रतलाम के सज्जन मिल रोड स्थित फायदा बाजार से काबुली चना, सैलाना के देवेंद्र स्वीटस से लिया मावा पेड़ा, बिलपांक स्थित ग्रीन ईडन सिस्टमैटिक प्राइवेट लिमिटेड का चना दाल का सैंपल, जावरा के राजश्री नमकीन सेंटर से सेव, ढोढर के श्री गणेश रेस्टोरेंट से सेव, जावरा के श्री राधे नमकीन से ली गई मावा बर्फी, रावटी के जाट दूध डेरी से मिक्सड दूध, पिपलौदा के मां आशापुरा मिल्क चिलिंग सेंटर से लिया गया मिक्सड दूध, परवलिया के महू नीमच हाइवे स्थित होटल ग्रीन प्लाजा से पनीर, ग्राम सज्जनपद के साइन मिलकर प्रोसेसिंग प्लांट से भैंस का दूध, सैलाना के हकीम ब्रदर से रिफाइंड सोयाबीन ऑयल, ढोढर के बालाजी नाश्ता सेंटर से मिठाई तथा ग्राम पीर हिंगोरिया के नाथूलाल मावा भट्टी से लिया गया भैंस के दूध का सैंपल अवमानक पाया है। शेष अन्य प्रतिष्ठानों से लिए 139 खाद्य सामग्री के सैंपल आगामी सप्ताह तक आने की संभावना है अभी तक जिन प्रतिष्ठानों के सैंपल अमानक पाए गए हैं, उनके संचालकों को नोटिस जारी होगा। इसके बाद संबंधित व्यापारी समय पर जवाब नहीं देते है, तो उनके खिलाफ खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम के अंतर्गत केस बनाकर सक्षम न्यायालय में पेश किया जाएगा।
अवैध कमाई में की जा रही जान से खिलवाड़
अवैध कमाई के लालच में मिलावट हर जगह देखने को मिलती है। कहीं दूध में पानी की मिलावट होती है, तो कहीं मसालों में रंगों की। दूध, चाय, चीनी, दाल, अनाज, हल्दी, फल, आटा, तेल, घी आदि ऐसी तमाम तरह की घरेलू उपयोग की वस्तुओं में मिलावट की जा रही है। यानी, पूरे पैसे खर्च करके भी हमें शुद्ध खाने का सामान नहीं मिल पाता है। मिलावट इतनी सफाई से होती है कि असली खाद्य पदार्थ और मिलावटी खाद्य पदार्थ में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। जीवन मूल्यहीन और दिशाहीन हो रहा है। हमारी सोच जड़ हो रही है। मिलावट, अनैतिकता और अविश्वास के चक्रव्यूह में जीवन मानो कैद हो गया है। घी के नाम पर चर्बी, मक्खन की जगह मार्गरीन, आटे में सेलखड़ी का पाउडर, हल्दी में पीली मिट्टी, काली मिर्च में पपीते के बीज, कटी हुई सुपारी में कटे हुए छुहारे की गुठलियां मिलाकर बेची जा रही हैं। दूध में मिलावट का कोई अंत नहीं। नकली मावा बिकना तो आम बात है। इसके बाद भी दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होना पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है।