असीम राज पांडेय, केके शर्मा, जयदीप गुर्जर
रतलाम। रतलाम शहर में “रॉयल” का नाम शिक्षा और हाल ही में शुरू की गई स्वास्थ उपचार के अलावा वहां की कमियों के कारण भी जाना जाता है। जाना भी क्यों न जाएं क्योंकि इनके मालिक एक राजनीतिक दल से जो जुड़े है। कुछ दिनों पहले एक छात्रा का किसी कारण एडमिशन रद्द हो गया। छात्रा ने जमा कराए शुल्क वापस देने को कहा। लेकिन यहां का प्रबंधन संभालने वालों ने अपना रौब दिखाते हुए शुल्क लौटाने से मना कर दिया। जैसे तैसे छात्रा के परिचितों के पास जानकारी पहुंची तो इधर उधर फोन घनघनाकर बड़ी मसक्कत के बाद जमा शुल्क का चेक तो ले लिया। लेकिन यहां के लेखा-जोखा से जुड़े एक कर्ताधर्ता ने संबंधित से शराब की अच्छे ब्रांड वाली बॉटल मांग ली। चूंकि फीस लौटाई तो परिचितों ने सोचा चलो अपना काम तो हुआ और हंसते हंसते कर्ताधर्ता की मांग को पूरा कर कर्ताधर्ता के हाथों में ब्रांडेड बॉटल थमाई।
चुनावी साल बढ़ेगी खिंचतान
यह साल चुनावी साल है। हर कोई अपने अपने दांव पेंच लगाने में लगा है। ऐसे में सत्ताधारी दल के मुखिया बदलने की कवायद कई समय से चल रही है। विकास प्राधिकरण में नियुक्ति की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई। जिसके कारण सत्ताधारी जनप्रतिनिधि के माथे पर बल पढ़ने लगे है। क्योंकि चुनावी साल में एनवक्त पर राजनीतिक नियुक्तियां आपस में खींचतान का सबब बन सकती है। जहां जिलाध्यक्ष की दौड़ में हर दिन एक नया दावेदार बढ़ रहा है ऐसे में गुटबाजी भी बढ़ती जा रही है। वहीं आरडीए में एक की नियुक्ति शेष दावेदारों को नाराज कर देगी। कांग्रेस से भाजपा में शामिल एक नेता भी सपने देख रहे है क्योंकि उनके सिर पर महाराजा का हाथ है। ऐसे में वह भी अपने आपको पॉवरफुल समझ रहे है। हालांकि यह तो आने वाला वक्त बताया कि किसमे कितना है दम।
कहां गए हिंदू हित का राग अलापने वालें?
हर छोटे से छोटे मुद्दों पर हिंदू हित की बात कर सड़क पर उतरने वाले नेता और पदाधिकारी लगता है शहर से गायब हो गए है। हिंदू हित का राग अलापने वालों ने हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष बॉडी बिल्डिंग स्पर्धा में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन के मामले चुप्पी साध ली है। रतलाम को छोड़कर प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर छाए इस मुद्दे को लेकर न तो सत्ताधारी दल से कोई मैदान में उतरा और नहीं शहर में बनठन के घूमने वाले हिंदूवादी नेता। विपक्षी दल भी कहां चुप रहने वाला था बैठे बैठाए उन्हें भी अच्छा मुद्दा मिल गया। नगर के माननीय का पुतला भी फूंक दिया। पुतला फूंकने के दौरान एक बजरंगी जो कि अपने नाम के आगे बुलेट राजा लिखते है वह भी दूर खड़े खड़े देख रहे थे। लेकिन उनकी भी आगे आने की हिम्मत नहीं हुई, यहां तक कुछ ने तो बंद कमरों में ही बैठ कर अपने वीडियो जारी कर विरोध कर इतिश्री कर ली, जो कि अब शहर में चर्चा का विषय है।