
– दस्तावेज जांचे बगैर हुआ नामांतरण, फर्जी दस्तावेज से करवाई रजिस्ट्री
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। रतलाम नगर निगम की विकास शाखा एक बार फिर सवालों के घेरे में है। कस्तूरबा नगर योजना क्रमांक 35 के प्लॉट नंबर 386 का नामांतरण बिना रिकॉर्ड और दस्तावेज जांचे ही कर दिया गया। इतना ही नहीं, एक करोड़ से अधिक कीमत वाले इस प्लॉट की मूल फाइल भी अब नगर निगम कार्यालय से गायब हो गई है।
शिकायतकर्ता ने इस मामले को महापौर प्रहलाद पटेल, एसपी अमित कुमार और निगमायुक्त हिमांशु भट्ट तक पहुंचाया है। आरोप है कि कांग्रेस नेता रमेश शर्मा ने इस भूखंड पर फर्जी बद्रीलाल मालवीय बनाकर न केवल नामांतरण करवाया, बल्कि प्लॉट की रजिस्ट्री भी कर दी। यह प्लॉट 30 बाय 50 वर्गफीट यानी कुल 1500 वर्गफीट का है। 1 अगस्त 1981 को बद्रीलाल मालवीय पिता भेरूलाल मालवीय के नाम पर लीज पट्टा जारी किया गया था। लेकिन स्थान में कमी के चलते उन्हें बाद में दूसरा प्लॉट दे दिया गया था। रमेश शर्मा पर आरोप है कि उसने 6 अप्रैल 2018 को इस प्लॉट की लीज प्रति निकलवाई और फर्जी बद्रीलाल तैयार किया। फिर 26 मई 2018 को पट्टा गुम होने का शपथ पत्र बनवाया, जिसमें पहचानकर्ता के रूप में खुद रमेश शर्मा का नाम था।
उसी दिन टैक्स जमा, फिर नामांतरण
26 मई 2018 को ही रतलाम के स्टेशन रोड थाने में आवेदन देकर 18,471 रुपये संपत्ति कर भी भर दिया गया। रसीद पर भी रमेश शर्मा के हस्ताक्षर हैं। फिर 25 जुलाई 2018 को बद्रीलाल के नाम नामांतरण करवा लिया गया। इसके बाद 10 अक्टूबर 2022 को फिर नामांतरण का आवेदन दिया गया। अभिलेखों की अनुपस्थिति में फाइल का पुनर्निर्माण किया गया और 9 दिसंबर 2022 को नामांतरण फिर से हो गया। कुछ ही दिन बाद 15 दिसंबर को प्लॉट की रजिस्ट्री अर्पित शर्मा के नाम कर दी गई।
लीज के लिए दिया था आवेदन, नहीं मिला जवाब
24 अगस्त 2018 को लीज राशि भरने के लिए भी आवेदन दिया गया, लेकिन कर्मचारियों ने यह कहकर मना कर दिया कि लेजर में प्लॉट का उल्लेख नहीं है। फिर भी फर्जी दस्तावेजों से आगे की कार्रवाई की गई । सवाल यह हे कि मूल फाइल कहां गई? किसकी मिलीभगत से हुआ ये सब? पूरे मामले में निगम अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत और लापरवाही साफ नजर आ रही है। मूल फाइल का गायब होना, रिकॉर्ड के बिना नामांतरण और फर्जी रजिस्ट्री सब कुछ एक बड़े घोटाले की ओर इशारा करता है।