– बिजली कंपनी और ठेका एजेंसी की लापरवाही फिर उजागर
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। जिले के पिपलौदा क्षेत्र में शनिवार को विद्युत वितरण कंपनी और उसकी अधिकृत आउटसोर्स कंपनी की लापरवाही एक बार फिर जानलेवा साबित हुई। बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के 11 केवी हाई वोल्टेज लाइन के फॉल्ट को ठीक करने खंबे पर चढ़े एक अनुभवी लाइनमैन की करंट लगने से मौत हो गई। मृतक शांतिलाल (40 वर्ष), पिता रमेशचंद्र पोरवाल निवासी कमलाखेड़ा, कंपनी का आउटसोर्स कर्मचारी था।

घटना पिपलौदा क्षेत्र के गोपाल धनगर के खेत में हुई, जहां बिजली लाइन में तकनीकी खराबी की सूचना पर शांतिलाल अकेले पहुंचा था। उसने फॉल्ट ठीक किया, लेकिन जैसे ही वह पोल से नीचे उतरने लगा, तभी करंट की चपेट में आ गया और तारों से चिपक गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के समय न तो वह सेफ्टी बेल्ट पहने था, न ही हेलमेट या अन्य सुरक्षा उपकरण मौजूद थे।
बिजली सप्लाई बंद थी या नहीं सवाल अनसुलझा
हादसे के बाद यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि खंबे पर चढ़ने से पहले विद्युत सप्लाई बंद करवाई गई थी या नहीं। स्थानीय जानकारों का कहना है कि लाइनमैन ने फॉल्ट सुधारने से पहले बिजली बंद करवाई थी, लेकिन संभवतः उतरते समय अचानक सप्लाई चालू हो गई, जिससे यह दर्दनाक हादसा हुआ।
कंपनी अधिकारियों की चुप्पी और बंद फोन
घटना के बाद पीड़ित के परिजनों और ग्रामीणों में आक्रोश है। पिपलौदा बिजली कंपनी के प्रभारी अधिकारी राहुल कुमार से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन बंद मिला। वहीं, जावरा क्षेत्र के विद्युत कंपनी के ईई एमएस दीक्षित ने बताया कि लाइनमैन अकेला गया था और घटना की जांच की जाएगी।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
यह पहला मौका नहीं है जब पिपलौदा या सैलाना क्षेत्र में बिजली कर्मचारियों की जान आउटसोर्सिंग और लापरवाही की भेंट चढ़ी हो। पूर्व में भी बिना सुरक्षा उपकरणों के काम कर रहे लाइनमैनों की हादसों में जान जा चुकी है, लेकिन न कंपनी और न ही ठेका एजेंसी ने इससे कोई सबक लिया है।
पुलिस ने किया मर्ग कायम, परिजन सदमे में
हादसे के बाद ग्रामीणों और बिजली कर्मचारियों की मदद से शांतिलाल को नीचे उतारा गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। पिपलौदा थाना पुलिस ने पंचनामा बनाकर शव को पीएम के लिए भेजा और मर्ग कायम किया है। परिजनों को शव सौंप दिया गया है। शांतिलाल के दो छोटे बच्चे हैं, और वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था।
सवाल उठते हैं – कब सुधरेगा सिस्टम?
1) क्यों बिना सुरक्षा उपकरणों के कर्मचारियों से करवाया जाता है खतरनाक काम?
2) क्या ठेका कंपनियों की कोई जवाबदेही तय नहीं?
3) विद्युत वितरण कंपनी कब तक आउटसोर्सिंग के नाम पर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ती रहेगी?
4) यह हादसा एक बार फिर साबित करता है कि जब तक फील्ड पर काम कर रहे कर्मचारियों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक ऐसी दुखद घटनाएं यूं ही दोहराई जाती रहेंगी ?