– बाबा महाकाल के आंगन से होती है देशभर में त्योहारों की शुरुआत
उज्जैन, वंदेमातरम् न्यूज। दीपावली ये 2024 के त्योहार को लेकर अंजमस की स्थिति बनी हुई है कि दीपावली 31 अक्टूबर – 2024 को मनाए या फिर 1 नवंबर- 2024 को। इस असमंजस्य का पटाक्षेप इसलिए अब खत्म हो चुका है, क्योंकि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में 31 अक्टूबर – 2024 को ही दीपावली मनाई जाएगी। यहां रूप चौदस और दीपावली एक साथ मनाई जा रही है। ऐसा माना जाता है कि देशभर में त्योहारों की शुरुआत बाबा महाकाल के आंगन से होती है,मंदिर पुजारी के अनुसार ऐसी मान्यता और परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस बार बाबा महाकाल के गर्भगृह में फूलझड़ी जलाकर त्योहारों की शुरुआत की जाएगी। मंदिर के पुजारी और पुरोहित के परिवार के लोग बाबा महाकाल को उबटन लगाएंगे और अल सुबह होने वाली भस्म आरती से दीपावली त्योहार की शुरुआत हो जाएगी। इसके लिए मंदिर समिति ने आकर्षक विद्युत सच्चा के साथ मंदिर को फूलों से सजाया है।
उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर मंदिर में 31 अक्टूबर – 2024 को दीपावली मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि देश में महाकाल मंदिर से किसी भी त्योहार की शुरुआत की जाती है। धनतेरस से एक दिन पहले सोमवार को महाकाल संध्या आरती के दौरान गर्भगृह से एक फूलझड़ी जलाकर दीपोत्सव शुरू हुआ है। मंगलवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने धन तेरस की पूजा की। मंदिर के 22 पुजारी-पुरोहितों ने बाबा महाकाल के साथ कुबेर और चांदी के सिक्कों का पूजन-अभिषेक कराया। इस दौरान बाबा महाकाल को चांदी का सिक्का भी अर्पित किया गया। 31 अक्टूबर-2024 की सुबह पुजारी परिवार की महिलाएं बाबा को उबटन लगाएंगी। महाकाल का अद्भुत श्रृंगार होगा, बाबा महाकाल का गर्भगृह में अन्नकूट का महाभोग लगाया जाएगा। दीपोत्सव पर महाकाल का आंगन जगमग है।
उबटन के बाद बाबा करेंगे गर्म जल से स्नान
31 अक्टूबर – 2024 को भस्म आरती से पहले बाबा महाकाल को पंचामृत से स्नान कराया जाएगा। साल में एक दिन रूप चतुर्दशी पर पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान का रूप निखारने के लिए उबटन लगाकर कर्पूर आरती करती हैं। भगवान को गर्म जल से स्नान कराएंगे। इसके बाद महाकाल को नए वस्त्र, आभूषण धारण कराकर श्रृंगार किया जाएगा। अन्नकूट भोग लगाकर फूलझड़ी से आरती की जाएगी। मंदिर की पूजन परंपरा में रूप चौदस से ठंड की शुरुआत मानी जाती है, इसलिए भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराने का क्रम शुरू होता है, जो फाल्गुन पूर्णिमा तक चलता है।
4 नवंबर से बाबा महाकाल की सवारियों की शुरुआत
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा के अनुसार जिस तरह सावन-भादो माह में बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाती है, उसी तरह कार्तिक माह में भी महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार 4 नवंबर – 2024 को इन सवारियों की शुरुआत होगी। कार्तिक शुक्ल तृतीया तिथि पर कार्तिक-अगहन माह की पहली सवारी निकलेगी। इस दिन से बाबा महाकाल को चांदी की पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण करवाया जाएगा। 25 नवंबर- 2024 को शाही सवारी निकाली जाएगी।