– रतलाम लोकसभा में 2019 के मुकाबले 2.18 फीसद कम हुआ मतदान
भोपाल/रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा ( LOKSABHA ELECTION – 2024) सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। रतलाम लोकसभा ( LOKSABHA ELECTION) चुनाव-2019 की तुलना में अबकी बार 2.18 फीसद कम मतदान हुआ है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 75.66 मतदान दर्ज किया था, जिसके मुकाबले अबकी बार रतलाम-झाबुआ संसदीय ( LOKSABHA ELECTION – 2024) क्षेत्र में 73.48 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। खास बात यह है कि रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र ( LOKSABHA ELECTION – 2024) सीट के लिए आठ विधानसभाओं में सर्वाधिक सैलाना में 84.37 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। सबसे कम जोबट विधानसभा में 65.04 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ।रतलाम शहर में 71.39 प्रतिशत, रतलाम ग्रामीण में 80.51 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। जबकि आलीराजपुर में 68.66 प्रतिशत, जोबट में 65.04 प्रतिशत, झाबुआ में 68.35 प्रतिशत, थांदला में 74.40 प्रतिशत और पेटलावद में 75.06 प्रतिशत मतदान हुआ है।
मालवा, निमाड़ और मध्य भारत में निभाई जिम्मेदारी
लोकसभा-2024 ( LOKSABHA ELECTION – 2024) के पहले दो चरण के चुनाव में मतदान प्रतिशत घटने से चुनाव आयोग और राजनीतिक दल चिंतित थे, लेकिन तीसरे और चौथे चरण के चुनाव में मतदाताओं ने अपने अधिकार का उपयोग कर मतदान की गिरावट को काफी हद तक थाम लिया। खासतौर पर मालवा, मध्य भारत और निमाड़ अंचल में हुए मतदान की बदौलत राज्य का औसत मतदान 66.77 प्रतिशत पहुंच गया। यह 2019 में हुए मतदान की तुलना में कम अवश्य है पर जिस तरह की गिरावट पहले दो चरणों में सामने आई थी, वह यदि बरकरार रहती तो राज्य का औसत मतदान काफी कम रह जाता। मध्य प्रदेश में हुए 2014 और 2019 के चुनाव में मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। प्रत्येक चुनाव में पिछले चुनाव से लगभग 10 प्रतिशत अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। चूंकि, प्रदेश में पांच माह पूर्व नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें 77.15 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान करके रिकार्ड बनाया था। इसके चलते उम्मीद थी कि मतदाता लोकसभा चुनाव के रिकार्ड 71.16 मतदान को भी पीछे छोड़ देंगे। इसी हिसाब से राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग ने भी तैयारी की थी लेकिन विंध्य, बुंदेलखंड और महाकोशल की 12 लोकसभा सीटों पर पहले और दूसरे चरण में क्रमश: मतदान लगभग 7.48 और 9.03 प्रतिशत कम रहा। तीसरे चरण में ग्वालियर-चंबल और मध्य भारत की सीटों के लिए मतदान हुआ। इसमें .11 प्रतिशत मतदान बढ़ा। राजगढ़, विदिशा, गुना, भिंड और ग्वालियर लोकसभा क्षेत्रों में 2019 की तुलना में अधिक मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया।
मतदान बढ़ने का प्रमुख कारण दिग्गजों का मैदान में उतरना
मतदान बढ़ने का एक प्रमुख कारण पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का चुनाव लड़ना भी राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा बताया जा रहा। तीनों ने क्षेत्र में लगातार जनंसपर्क किया और मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रेरित किया। मालवा निमाड़ अंचल में भले ही 2019 की तुलना में औसत मतदान भले ही कम रहा हो पर इसका राज्य के औसत मतदान को थामने में बड़ा योगदान रहा क्योंकि यहां मतदाताओं की संख्या दूसरे नंबर पर थी। बैतूल लोकसभा ( LOKSABHA ) क्षेत्र के तीसरे चरण के चुनाव में शामिल होने के कारण मतदाताओं की संख्या बढ़ गई अन्यथा सर्वाधिक 1.63 करोड़ मतदाता मालवा निमाड़ अंचल में ही थे। यहां 71.72 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इसके कारण राज्य का औसत मतदान 66.77 प्रतिशत पहुंच गया, जो 2019 की तुलना में 4.35 प्रतिशत कम है। हालांकि, डाक मतपत्रों से हुआ मतदान इसमें शामिल होना शेष है। इसके बाद अंतर कुछ और कम हो जाएगा।