रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
देश में बढता ध्वनि प्रदूषण नागरिकों के शांति से जीने के अधिकार का हनन कर रहा है। अभी हाल के दिनों में मस्जिदों के लाउड स्पीकर हटाने के लिए न्यायालय में याचिकाएं भी दायर की गई है। उच्चतम न्यायालय भी ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर चुका है। लेकिन फिर भी ध्वनि प्रदूषण कम होने की बजाय बढता ही जा रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए भारत गौरव अभियान के संयोजक अनिल झालानी द्वारा दिए गए ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी की नियुक्ति का सुझाव कारगर साबित हो सकता है।
भारत गौरव अभियान के संयोजक झालानी ने करीब पांच वर्ष पूर्व ही इस समस्या को लेकर रास्ता सुझाया था। उक्त गंभीर समस्या पर झालानी ने 5 जुलाई 2017 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। सुझाव में ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रत्येक जिले में एक ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी (एम्प्लीफायर कंट्रोलर) की नियुक्ति की जाना चाहिए। साथ ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों के निर्माता से लगाकर क्रेता, विक्रेता और उपयोगकर्ताओं तक का रजिस्टर रखा जाना चाहिए। झालानी ने अपने विस्तृत सुझावों में बताया था कि सबसे पहले ध्वनि विस्तारकों का वर्गीकरण किया जाना चाहिए जिससे कि ढोल नगाडों जैसे पारम्परिक वाद्य यंत्रों को इस व्यवस्था से बाहर रखा जा सके। इसके पश्चात मान्य डेसीबल से अधिक क्षमता वाले ध्वनि विस्तारकों का निर्माण करने वाली इकाईयों का रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मान्य डेसीबल से अधिक क्षमता के ध्वनिविस्तारक यंत्रों का भी पंजीकरण किया जाना चाहिए। झालानी ने अपने सुझाव पत्र में लिखा है कि प्रत्येक ध्वनि विस्तारक यंत्र का उत्पादन के समय ही एक नम्बर रखा जाना चाहिए। ठीक उसी प्रकार जैसे मोटर कार में इंजिन का नम्बर होता है। पंजीकृत ध्वनि विस्तारक यंत्र का वही नम्बर उत्पादन कर्ता से लगाकर विक्रेता,क्रेता,सेवा प्रदाता और अंतिम उपयोगकर्ता तक मान्य रखा जाए।
शस्त्र लायसेंस के अनुरूप बनाई जा सकती व्यवस्था
वर्तमान में जैसी व्यवस्था शस्त्र लायसेंस के लिए बनाई गई है, कमोबेश उसी तरह की व्यवस्था ध्वनि विस्तारक नियंत्रण के लिए बनाई जाए। प्रत्येक जिले का ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी तय करेगा कि किस आयोजन पर कौन सा ध्वनि विस्तारक यंत्र बजेगा, उसकी उपयोगिता और कितने लोगों तक उसकी आवाज पंहुचाने की आïवश्यकता है और कितने समय तक है,आदि बातों का औचित्य सिद्ध होने पर ही ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी द्वारा उसके उपयोग की अनुमति देगा।
यह प्रक्रिया हो सकती कारगर
झालानी ने इस व्यवस्था के लिए प्रक्रिया का सुझाव भी दिया है। उन्होने अपने पत्र में लिखा है कि ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करने के लिए एक संक्षिप्त प्रारुप वाला आवेदन पत्र तैयार करवाया जाए। ध्वनि विस्तारक का संचालन करने वाला या सेवा प्रदाता एजेंसी इस प्रारुप आवेदन में समस्त विवरण भरकर ध्वनि विस्तारक नियंत्रण अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेगा। आवेदन प्रस्तुत कर सूचना देने को ही अनुमति स्वीकार माना जाए। झालानी ने अपने सुझाव में कहा है कि नियंत्रण अधिकारी ऐसे प्रत्येक आवेदन पर ध्यान दें और जहां उसे प्रतीत हो कि इस आयोजन में इतने डेसीबल के उपयोग की आवश्यकता नहीं है या अधिक समय उपयोग किया जा रहा है, तो वह लिखित आदेश जारी कर ध्वनि विस्तारक के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा सकेगा, जप्त कर सकेगा और उपयोगकर्ता के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करेगा।