रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
16 जुलाई 1946 रतलाम के इतिहास का वह दिन है जब मिलबन्दी, राशन मे कटौती व मंहगाई के विरूद्ध संघर्षशील जनता को तात्कालिक सरकार ने बर्बरता पूर्ण तरीकों से गोलियां से भून दिया था, जिसके फलस्वरूप मेहनतकश जनता के पांच लाडले शहीद हुए थे।
उक्त जानकारी देते हुए रतलाम शाखा के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने बताया कि प्रतिवर्ष आज के दिन रतलाम के श्रम संगठनों द्वारा अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करने एकत्रित होते है। शहर के राजनीतिक दलों की उपेक्षा के कारण यह शहीद स्मारक अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। देखरेख के अभाव में यह दिन प्रतिदिन जीर्णशीर्ण हो रहा है। इसके जीर्णोद्धार हेतु एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सोमवार को सौपा जाएगा। शहर के शहीद चौक पर श्रद्धांजलि सभा रखी गई। श्रद्धांजलि सभा को वरिष्ठ चिंतक प्रोफेसर डॉ रतन चौहान ने सम्बोधित करते हुए कहा कि रतलाम की जनता ने सदैव एकता व भाईचारे का संदेश हर परिस्थिति में दिया है। वर्तमान सरकार संसद में भुखमरी, बेरोजगारी, चिकित्सा, जैसे बुनियादी सुविधाओं पर चर्चा न कर निर्जीव स्मारकों की ऊँचाई बढ़ाने जैसे मुद्दों पर अपनी पीठ थपथपा रही हैं, जो चिन्ताचनक है। सभा को वरिष्ठ मांगीलाल नगावत, रमेश शर्मा, नरेन्द्र चौहान, आईंएल पुरोहित, संजीव चक आदि ने संबोधित किया। संचालन संजय व्यास ने किया। आभार नरेंद्र जोशी ने माना।