रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
रतलाम जिले का शासकीय मेडिकल कॉलेज एक के बाद एक अनियमित्ताओं से सुर्खियों में छाया हुआ है। रेलकर्मी दीपेश पाठक की अवैध मेस में खाने से बीमार 40 स्टूडेंट का मामला छिपाना हो या फिर जांच के नाम पर औपचारिकता निभाकर डीनशाही दिखाना। डीन डॉ. जितेंद्र गुप्ता 3 माह पूर्व भी ऐसा ही एक कारनामा कर चुके हैं। डीन डॉ. गुप्ता ने डिप्टी नर्सिंग सुप्रिंटेंडेंट की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी छह माह की नर्स को देकर भी फंस चुके हैं। सीएम शिवराजसिंह चौहान के दौरे से ठीक 12 घंटे पूर्व डीन डॉ. गुप्ता को अपने द्वारा जारी आदेश निरस्त करना पड़ा था।
मालूम हो की 10 मार्च की रात मेडिकल कॉलेज की अवैध संचालित मेस में दूषित खाने से 40 स्टूडेंट उल्टी, दस्त एवं बुखार का शिकार हो गए थे। 11 मार्च की सुबह घटना की जानकारी मेडिकल प्रशासन को मिल गई थी, इसके बावजूद डीन डॉ.गुप्ता पूरे मामले को दबाते रहे और वरिष्ठ अधिकारियों को भी उक्त घटना की जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा। वन्देमातरम् न्यूज की ओर से फूड पॉइजनिंग का मामला उजागर करने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने संज्ञान लिया था। संभागायुक्त संदीप यादव ने डीन डॉ.गुप्ता को तलब कर लताड़ भी लगा चुके हैं। फूड पॉइजनिंग की गंभीर घटना के बाद डीन डॉ.गुप्ता ने कॉलेज की एक कमेटी गठित कर औपचारिकता की जांच करवाई और खुद को क्लीनचीट दिलवाकर कमेटी को भी कठघरे में खड़ा करवा दिया।
डीन कर चुके मेडीकल कॉलेज की छवि खराब
सीनियर नर्सिंग स्टॉफ की उपेक्षा कर डीन डॉ. गुप्ता ने सीएम के दौरे से पूर्व भी शासकीय मेडिकल कॉलेज की छवि बिगाड़ चुके हैं। डीन डॉ.गुप्ता ने छह माह पूर्व नियुक्त नर्स प्रियंका जोशी को डिप्टी नर्सिंग सुप्रिंटेंडेंट का चार्ज सौंप आरोपों से घिर चुके हैं। डेपुटेशन (प्रतिनियुक्ति) पर आई सीनियर स्टॉफ नर्स ने जमकर विरोध करते हुए डीन डॉ. गुप्ता का वाहन रोक घेराव कर दिया था। संभागायुक्त से अनुमति बगैर डिप्टी नर्सिंग सुप्रिंटेंडेंट की नियुक्ति मेडिकल कॉलेज स्टॉफ सहित प्रशासनिक खेमे में चर्चा का विषय बनी हुई है। हालाँकि सीएम दौरे के पूर्व उक्त आदेश को रातो-रात डीन डॉ.गुप्ता ने निरस्त कर नियम विपरीत कार्यप्रणाली पर स्वयं मुहर लगा चुके हैं।