– रतलाम में मकान तोड़ने पर कोर्ट का सख्त रुख, कार्रवाई को बताया तानाशाही पूर्ण
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज।
डेढ़ वर्ष पूर्व नियम विरुद्ध आधी रात को लोहार रोड़ स्थित मकान और दुकान जेसीबी से तोड़ने की पुलिस और नगर निगम की सयुंक्त कार्रवाई को उच्च न्यायालय ने तानाशाही पूर्ण बताते हुए नाराजगी जताई। इंदौर उच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी के बाद मध्यप्रदेश के डीजीपी सहित रतलाम एसपी, आयुक्त नगर पालिक निगम, कार्यपालन यंत्री और माणकचौक टीआई को नोटिस जारी के आदेश दिए हैं।

याचिकाकर्ता निशा पति मुकेश खन्नीवाल द्वारा अधिवक्ता अमित कुमार पांचाल की ओर से इंदौर उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई थी। याचिका में बताया था कि रतलाम में लोहार रोड स्थित वह मकान की मालिक है और उसके विरुध्द किसी भी प्रकार का अपराध पंजीबध्द नहीं है। याचिकाकर्ता के पति मुकेश खन्नीवाल के विरुध्द पुलिस थाना माणकचौक द्वारा धारा 3/4 जुआ एक्ट के कई झूठे प्रकरण पंजीबद्ध किए हैं, जिनमें उन्हें सक्षम न्यायालय द्वारा दोषमुक्त किया गया। इसके बाद भी रतलाम पुलिस उन्हें और परिवार को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से उनके विरुध्द झूठे प्रकरण दर्ज किए हैं। इतना ही नहीं 21 जनवरी-2022 को रात्रि करीब 1 बजे तत्कालीन एसपी गौरव तिवारी, माणकचौक थाना प्रभारी सहित करीब 15-20 पुलिस और निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने बगैर कोई सूचना पत्र दिए और कारण बताए तानाशाही करते हुए मकान व हार्डवेयर की दुकान को जेसीबी से तोड़ दिया था। याचिकाकर्ता ने न्यायालय में उसके मकान और दुकान को नियम विरुध्द रुप से अर्धरात्रि को तोड़े जाने पर दोषियों के विरुध्द विधि अनुसार अपराध दर्ज किए जाने की मांग प्रमुखता से की है।

जिम्मेदारों पर यह भी गंभीर आरोप
अवैधानिक कृत्य को छिपाने के लिए तत्कालीन एसपी तिवारी ने तत्कालीन निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया एवं पूर्व निगम कार्यपालन यंत्री सुरेशचंद्र व्यास से फर्जी सूचना पत्र जारी कर गैरकानूनी कृत्य को कानूनी रुप से की गई कार्यवाही दिखाने के षड्यंत्र का भी उच्च न्यायालय में गंभीर आरोप लगा है। याचिकाकर्ता के पति मुकेश को इस आशय के फर्जी सूचना पत्र पूर्व कार्यपालन यंत्री व्यास से जारी करवाए गए। इसमें लिखा गया था कि मकान को तोड़े जाने में 15 हजार रुपए प्रतिघंटे के मान से व्यय हुआ है, जो नगर पालिक निगम रतलाम में जमा करवाया जावे, यदि उनके व्दारा यह राशि जमा नहीं की गई तो इसे वसूलने की कार्यवाही की जावेगी। उक्त सूचना पत्र इसलिए जारी करवाया गया था कि याचिकाकर्ता उनके इस अवैधानिक कृत्य के विरुध्द किसी भी भी प्रकार की क़ानूनी कार्यवाही की कोशिश न कर सकें।

