– तीन वर्ष पूर्व हुआ था दीनदयाल नगर थाने में प्रकरण दर्ज, साक्ष्य और पीड़िता के बयान पर सुनाया कठोर कारावास
रतलाम, वंदेमातरम् न्यूज। मध्य प्रदेश के रतलाम की पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायालय ने एतिहासिक फैसला सुनाया है। तीन वर्ष पूर्व रतलाम के दीनदयाल नगर थाने में 15 वर्षीय नाबालिग की गुमशुदगी के बाद तफ्तीश में आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ था। साक्ष्यों के आधार और पीड़िता के बयान के मद्देनजर विशेष न्यायाधीश योगेंद्र कुमार त्यागी ने मुख्य अभियुक्त बंटी (22) पिता मांगीलाल झोड़िया निवासी ईश्वर नगर को अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई। अभियुक्त को आजीवन कारावास (शेष स्वाभाविक जीवन तक के लिए) की सजा सुनाई गई। अभियुक्त को अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा।
अभियोजन के अनुसार 12 दिसंबर 2020 को नाबालिग मामा जी के घर शादी में जाने का बोलकर निकली थी। इसके बाद वह न तो मामा के घर पहुंची और न ही अपने घर लौटी। खोजबीन के बाद भी पता नहीं चलने पर पिता ने 6 जनवरी 2021 को दीनदयाल नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनकी बेटी को कोई व्यक्ति बहला-फुसलाकर ले गया है। पुलिस ने गुमशुगदी दर्ज कर जांच के बाद अज्ञात के खिलाफ धारा 363 में अपहरण का प्रकरण दर्ज कर जांच की। जांच में पता चला था कि नाबालिग मुख्य अभियुक्त बंटी के साथ कोटा (राजस्थान) में है। पुलिस नाबालिग के माता-पिता को लेकर कोटा पहुंचे थे तथा तलाश कर उसे रतलाम लाए थे। कथन लेने पर नाबालिग ने पुलिस को बताया कि 12 दिसंबर 2020 को माता-पिता मामा के घर गए थे। तब मोहल्ले में ही रहने वाली सहयोगी आरोपी लता बाई घर आई थी। उसने कहा था कि वह रसोई करने जा रही है तू भी साथ चल। इसके बाद लता बाई उसे ऑटो में बैठाकर एक अस्पताल के पास ले गई थी, जहां मुख्य आरोपी बंटी व एक अन्य सहयोगी राहुल चारेल मिले थे। इसके बाद तीनों आरोपी उसे बस में बैठाकर इंदौर ले गए थे। इंदौर से उसे ट्रेन से कोटा ले जाया गया था। कोटा के मेडिकल कॉलेज के पास बनी झोपड़ी में अभियुक्त बंटी ने उसे पत्नी बनाकर रखा था तथा रोज बगैर इच्छा से दुष्कर्म करता था। अपराध में सहयोगी लताबाई व राहुल उससे मारपीट भी करते थे। प्रकरण में शासन की तरफ से पैरवी विशेष लोक अभियोजक गौतम परमार ने की।
मामले में अब तक लता बाई है फरार
विशेष लोक अभियोजक गौतम परमार ने बताया कि पुलिस ने प्रकरण में पॉक्सो एक्ट की धारा 5 (एल/6), भादंवि की धारा 366, 376 डीए, 376 (3), 323, 376 (2) (एन) का इजाफा किया था। अभियुक्त बंटी, सहयोगी राहुल व फरार लताबाई को भी आरोपी बनाकर मुख्य आरोपी बंटी को गिरफ्तार कर लिया था। दुष्कर्म से नाबालिग गर्भवती हो गई थी। उसके शिशु का बंटी से डीएनए कराया गया था। डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य व डीएनए रिपोर्ट को प्रमाणित मानते हुए बंटी को दोषी ठहराया। न्यायालय ने मुख्य अभियुक्त बंटी को पॉक्सो एक्ट की धारा 5 (एल)/6) में 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा व दो हजार अर्थदंड का जुर्माना, भादंवि की धारा 366 में पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा व एक हजार अर्थदंड का जुर्माना तथा धारा 363 में तीन वर्ष से सश्रम कारावास की सजा व एक हजार अर्थदंड का जुर्माना से भी दंडित किया। यह सभी सजा एक साथ चलेगी। मामले में अभियुक्त राहुल को बाद में गिरफ्तार कर उसके खिलाफ पूरक चालान पेश किया गया है और प्रकरण में सहयोगी लता बाई अभी भी फरार है।