असीम राज पांडेय, रतलाम। फोरलेन स्थित टोल नाके पर आंदोलन इन दिनों चर्चा का विषय है। आंदोलन में फूलछाप पार्टी के पूर्व माननीय के साथ विरोध करने पहुंचा टोल नाके पर हफ्ता वसूली और पिस्टल दिखाकर रंगदारी में जेल की हवा खा चुका है। पूर्व माननीय के साथ जेल की हवा खाने वाले का प्रदर्शन में पहुंचना ग्रामीणों को रास नहीं आया। प्रदर्शन में वर्तमान माननीय “बा” और पूर्व माननीय के पहुंचने पर समर्थकों की गुटबाजी भी जगजाहीर हुई। वर्तमान माननीय “बा” की बात नहीं सुनने और तमाशा करने पर माननीय जब हाथ जोड़कर जाने लगे तब प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों को आरोपी नेता के साथ पहुंचे कुछ लोगों द्वारा गड़बड़ी करने का अहसास हुआ। ग्रामीणों की समझ में भी आ गया कि प्रदर्शन में अगर कोई नींबू निचोड़ रहा है तो वह पूर्व माननीय का खास है। इसके बाद वर्तमान माननीय को भी अहसास हुआ और उन्होंने प्रदर्शन की कमान संभाली। प्रशासनिक अधिकारियों सहित टोल नाका प्रबंधन के कर्मचारियों को मांग पूरजोर तरीके से सुनाई। ये अंदर की बात है… कि वर्तमान माननीय “बा” को हराने में जुटे कुछ फूलछाप को अब उनकी प्रसिद्धी रास नहीं आ रही है और वह कार्यक्रमों में पहुंचकर मीडिया और अधिकारियों से अभद्रता कर नींबू निचोड़ने का काम करने लगे हैं।
लोकायुक्त ने दिला दी भ्रष्टाचारी को “औकात” याद
रतलाम के बहुचर्चित राजीव गांधी सिविक सेंटर के रजिस्ट्री कांड में लोकायुक्त ने शहर के भूमाफिया सहित तत्कालीन भ्रष्टाचारी आयुक्त को उसकी “औकात” याद दिला दी। जी हां “औकात” शब्द इसलिए उपयोग किया जा रहा है कि जब इस तत्कालीन भ्रष्टाचारी आयुक्त से मीडिया ने पूर्व में एक अन्य शिकायत के बाद जारी नोटिस पर सवाल किया था, तब तत्कालीन भ्रष्टाचारी आयुक्त ने जवाब दिया था कि लोकायुक्त की “औकात” क्या है जो वह हमारी जांच करेगा। दरअसल तत्कालीन भ्रष्टाचारी आयुक्त का यह ऑडियो काफी वायरल हुआ। लोकायुक्त मुख्यालय पर वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भ्रष्टाचारी और अहंकारी आयुक्त का ऑडियो सुना और समय का इंतजार किया। चंद माह में भ्रष्टाचारी आयुक्त ने भूमाफियाओं के साथ मिलकर सेवानिवृत्ति से पहले अपनी “औकात’ बढ़ाने की कोशिश की और जाल में फंस गया। ये अंदर की बात है… कि न्याय के मंदिर में निर्दोष होने का झूठा सबूत पेश करने के साथ भ्रष्टाचारी आयुक्त इन दिनों लोकायुक्त के एक वरिष्ठ अधिकारी के हाथ-पैर जोड़ रहा है। लोकायुक्त के साहब ने भी भ्रष्टाचारी आयुक्त को जवाब दिया कि हमारी क्या “औकात” जो तुम्हे राहत दे सकें।
श्रमिकों ने फूला दी जुगलबंदियों की सांस
रतलाम की एक फैक्ट्री में श्रमिक लामबंद क्या हुए, इन्होंने कंपनी के ठेकेदारी में जुगलबंदी करने वालों की सांसे फूला दी। श्रमिकों के सात दिन की मियांद खत्म होने के बाद मंगलवार को कलेक्ट्रोरेट में प्रदर्शन और ज्ञापन हुआ। इसके पूर्व लेबड़-नयागांव मार्ग पर कंपनी और ठेकेदारों के विरुद्ध लामबंद होकर सड़क पर उतरे श्रमिकों ने चेतावनी दी थी कि उनके अधिकारों का हनन करने वाले कोई और नहीं बल्कि ठेकेदार हैं। ये अंदर की बात है… कि कंपनी के श्रमिक उन तीन ठेकेदारों के अधीन हैं, जिसमें एक फूलछाप और एक हाथछाप के प्रमुख हैं। ऐसे में तीसरे ठेकेदार की इन दोनों ठेकेदारों की जुगलबंदी के चलते हौंसले स्वत: ही बढ़े हुए हैं। श्रमिकों की मांग प्रशासन से जारी है कि उन्हें कंपनी के प्रबंधन से अधिकारों की पूर्ति कराई जाए। मामला गरमाने के साथ अब फूलछाप के वरिष्ठ भी इसमें दिलचस्पी लेने लगे हैं। संगठन स्तर पर मामला पहुंचने से पहले फूलछाप मुखिया प्रशासन स्तर पर कंपनी के सेवा कार्यों का बखान करने में जुटे है। ये अंदर की बात है… कि मामला अब तूल पकड़ चुका है। फूलछाप के अंदर चल रही राजनीति को भी हवा मिल चुकी है और वह श्रमिकों के प्रदर्शन को कुछ फूलछाप सही ठहराकर पर्दे के पीछे से हवा देने में जुट गए हैं। देखना यह है कि अब पूरे मामले में श्रमिकों की मांग का क्या होता है।