असीम राज पांडेय, केके शर्मा
रतलाम। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशियों को धूल चटाने वाले प्रदेश के एकमात्र निर्दलीय विधायक की दिखावे की लाचारी सुर्खियां बंटोर रही है। यह साहब निर्वाचित होने के बाद बाइक से भोपाल पहुंचे और फोरव्हीलर नहीं होने का मीडिया में रोना पीटकर गरीबी दिखाते रहे। इनकी गरीबी की दास्तां जैसे ही समाचारों में हैडलाइन बनी, वैसे ही इनके चाहने वालों ने निर्वाचित साहब की हवाई यात्राओं के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए।
नवनिर्वाचित साहब की उल्टी खबरें बनने लगी तो हवाई यात्राओं पर सफाई देना शुरू कर दी। हालांकि पब्लिक सब जानती है कि नवनिर्वाचित साहब इतने गरीब नहीं हैं, जितना वे खुद को बताते हैं। चुनाव के समय दिए हलफनामे पर गौर फरमाए तो इन साहब के पास एक प्लॉट है, जिसकी कीमत सात लाख रुपए है। इसके अलावा कृषि भूमि के साथ ही 27 ग्राम वजनी सोने की चेन और खुद के खाते में पांच लाख रुपए और पत्नी के खाते में दो लाख रुपए का जिक्र है। इतना ही इन साहब ने चुनाव के पहले भी एक वीडियो जारी कर कहा था कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा। फिर भी वह चुनावी मैदान में आए। जैसे ही यह साहब चुनाव जीते और इनसे खबरचियों ने सवाल किया तो चुनाव नहीं लडऩे के वीडियो को पॉलिटिक्ल स्टंट बताया। ठीक वैसे ही भोपाल तक बाइक पर सवार होकर गए। इन साहब की कथनी और करनी में भी अंतर है।
एक अनार सो बीमार की कहावत जोरों पर
फूलछाप पार्टी ने प्रदेश के नए मुखिया की घोषणा कर एक बार फिर सभी को चौंकाया है। नए मुखिया के मंत्रीमंडल पर अब सभी की नजरे हैं। राजनीति विद्वानों की मानें तो मालवा से मुखिया और उपमुखिया को प्रदेश की कमान सौंपी जा चुकी है। ऐसे में मालवा से अब मंत्रीमंडल में कम ही नेताओं को लिया जाएगा। रतलाम जिले की बात करें तो चार नेताओं में काफी टक्कर है। इन चार नेताओं में एक पूर्व सांसद तो दूसरे चार बार के विधायक और एक तीन बार के विधायक के अलावा आदिवासी विधायक अपनी-अपनी दावेदारी में जुटे हैं। चर्चा जोरों पर है कि एक अनार सो बीमार… पुरानी कहावत में अब किस-किस को शामिल किया जाए। ये अंदर की बात है कि सभी निर्वाचित नेता अपनी-अपनी जोड़-तोड़ में लगे हैं कि उन्हें किसी न किसी तरह मंत्री मंडल की ट्रेन में चढ़ा लिया जाए।