असीम राज पांडेय, केके शर्मा
रतलाम। चुनावी खेल के आखरी दौर में शह-मात का खेल भी खूब चला। चुनाव के पहले जिले के एक फूल छाप प्रत्याशी की वॉइस रिकार्डिंग सामने आई। रिकार्डिंग उस समय की थी जब वह प्रत्याशी विधायक नहीं थे। इस रिकार्डिंग का फायदा हाथ छाप के लोगों ने खूब उठाया। सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई। ठीक चुनाव के ऐनवक्त पहले इस रिकार्डिंग के आने से फूल छाप प्रत्याशी तक बात पहुंची। प्रत्याशी जिस व्यक्ति से बात कर रहे थे वह भी उन्हीं की पार्टी हैं और उनके परिवार का एक सदस्य ग्राम पंचायतों के एक विभाग की मुख्य कमान संभाले हुए है। ऐसे में प्रत्याशी का गुस्सा आसमान पर चढ़ गया। उन्होंने सामने वाले व्यक्ति को बुलाकर कहा कि यह तो हमारे दोनों के बीच की बात थी तो बाहर कैसे आई?, सामने वाले ने भी अपनी बात रखने की कोशिश की। लेकिन प्रत्याशी का गुस्सा चरम पर था। बातचीत में फूलछाप के प्रत्याशी ने अपनी ही पार्टी के मौजूदा कर्ता-धर्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए थे। अब देखना यह है कि सामने वाले व्यक्ति ने चुनाव में अपनी भूमिका क्या निभाई होगी। जो कि परिणाम के आने से पता चलेगी। इस बात के चर्चे ग्रामीण स्तर पर खूब चल रहे हैं।
सट्टा बाजार की खबर से निर्दलीयों की बल्ले-बल्ले
जनता से वादों का एक पाठ नेताओं की किताब में फिर जुड़ गया है। राजनीति बिछात पर फूल और हाथ छाप पार्टी ने जनता को लुभावने के लिए खूब रेवडिय़ां बांटी। चुनावी चकलस में सत्ता किसकी बनेगी यह मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। राजनीति विद्वानों के चेहरों की मुस्कान भी कुछ बदली-बदली हुई है। मध्य प्रदेश में चुनाव के बाद सट्टा बाजार पर बड़े-बड़े उद्योगपतियों और व्यवसायियों के साथ नेताओं की नजरें टिकी हुई हैं। वर्तमान में सट्टा बाजार फूल छाप और हाथ छाप को बराबरी पर आंक कर सिक्का खड़ा बता रहा है। राज सिंहासन पर कौन बैठेगा? इसका जवाब वर्ष के अंतिम माह के पहले सप्ताह में सामने आएगा। इन सब के बीच चुनाव मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशियों के चेहरे खिले हुए हैं। सट्टा बाजार के मुताबिक परिणाम अगर घोषित हुए तो निर्दलीय नेताओं की बल्ले-बल्ले होना तय है। उन्हें फूल और हाथ छाप से सत्ता में शामिल होने का न्यौते के साथ वह सब कुछ मिलेगा जिसका उन्होंने सपना संजो रखा।
ओपीएस ने मचाई चुनाव में धूम
विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी फूल छाप पार्टी के प्रति कर्मचारियों की नाराजी सोशल मीडिया पर छाई। कर्मचारियों ने मतदान के बाद अपना आक्रोश ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्किम) लिख फूल छाप नेताओं को सकते में डाल दिया। फूल छाप भले ही इस मुद्दे को तवज्जों न दे, लेकिन सत्ता की मंजिल की राह सरल नहीं है। कर्मचारी नेताओं के अनुसार वर्तमान में मध्यप्रदेश में 6 लाख 40 हजार नियमित और 1 लाख 10 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं। आचार संहिता पहले नियमित कर्मचारी ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्किम) की प्रमुख मांग पर अड़े थे, वहीं दैनिक वेतन भोगी कर्मी नियमित मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन में जुटे थे। दोनों वर्गों में कर्मचारियों की संख्या 7 लाख 50 हजार है। एक कर्मचारी के परिवार में औसतन 4 सदस्य भी मानें जाए तो 30 लाख मतदाता फूल छाप पार्टी के लिए चुनौती के रूप में नजर आ रहे हैं। इधर रतलाम जिले में भी कप्तान की डायरी सिस्टम को लेकर भी पुलिस कर्मचारियों ने चुनाव में आक्रोश जाहिर किया है। ये अंदर की बात है कि कप्तान ने डायरी सिस्टम के नाम चुनाव से एक सप्ताह पूर्व भले ही दिखावे की राहत दी, लेकिन पूर्व में मनमानी कार्रवाई से नाराज पुलिसकर्मी और परिवार ने चुनाव में अच्छे से ताकत दिखाई है।