असीमराज पांडेय, केके शर्मा, जयदीप गुर्जर
रतलाम। बेशर्मी की हद पिछले दिनों रतलाम के व्यवसायिक थाना क्षेत्र में देखने को मिली। बाइक-ऑटो की टक्कर का मामला थाने पहुंचा। फीती चिपकवाकर नए-नवेले खाकीवर्दी कार्यवाहक ने ऑटो चालक के खिलाफ कार्रवाई की। कम कद के नए-नवेले कार्यवाहक के निर्देश में चालक कोर्ट में 3 हजार रुपए का जुर्माना भर ऑटो छुड़ाने थाने पहुंचा। शुरुआत में ऑटो चालक को थाने से वर्दीधारियों ने चलता कर दिया तो बात थाना प्रमुख के पास पहुंची। थाना प्रमुख ने संवेदना का परिचय देकर चालक को ऑटो सौंपा। ऑटो लेकर खुशी-खुशी चालक सवारी ढूंढने की जुगत में था कि कम कद के नए-नवेले कार्यवाहक का मोबाइल घनघनाया। फोन उठाकर चालक संबोधन करता उसके पूर्व कम कद के नए-नवेले कार्यवाहक की रूबाब भरी आवाज सुनाई दी कि ऑटो तो ले गया तू, लेकिन मेरा (2500 रुपए) क्या? बात थाना प्रमुख तक पहुंचने पर तापमान सातवें आसमान पार पहुंचा। अंदर की बात यह है कि बेशर्मी उजागर होने पर नए-नवेला कार्यवाहक अजय घूस के 2500 रुपए की चाहत में पराजय हो गया।
ख्वाहिश राज्यपाल बनने की
चुनावी वर्ष में नाराज पूर्व पदाधिकारियों के मान-मनोव्वल का दौर चरम पर है। आलोट, धराड़ सहित जिलेभर में उपज रहे जमीनी कार्यकर्ताओं के आक्रोश के बीच फूलछाप पार्टी जिला मुखिया का चेहरा तलाश रही है। चुनाव पूर्व व्यक्ति विशेष से समाज को साधने की कवायद में प्रदेश आलाकमान को अजीब-ओ-गरीब ख्वाहिश सुनने को भी मिल रही है। जिला मुखिया के चेहरे की तलाश में फोरलेन समीप गांव निवासी और पूर्व जिलाध्यक्ष जो बुजुर्ग अवस्था में पहुंच चुके हैं, उनकी ख्वाहिश भी पूछी गई। कुशल-क्षेम पूछने के दौरान संगठन के व्यक्ति से उन्होंने भोपाल बात पहुंचाई है कि अब राज्यपाल बनना है। प्रदेश संगठन की सोच यह थी कि चुनाव पूर्व नाराज पूर्व पदाधिकारी को स्थानीय स्तर की नई जिम्मेदारी सौंप वह मना लेंगे। प्रदेश संगठन ने जब उनकी ख्वाहिश सुनी तो अरमानों पर पानी फिर गया।
सर्वश्री के मझदार में फंसे अध्यक्ष
प्रधानमंत्री का राजधानी से वर्चुअल कार्यक्रम मंगलवार को अलग-अलग मंडलों के जरिए रखा गया। कुशाभाऊ ठाकरे मंडल के बूथ पर भी वर्चुअली कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में शहर माननीय तो प्रमुखता से पहुंचे लेकिन मंडल अध्यक्ष की अनुपस्थिति ने सवालों को जन्म दे दिया। शहर माननीय की सहमति से नियुक्त मंडल अध्यक्ष की अनुपस्थिति चुनावी मौसम में पार्टी के राजनीति गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। ये अंदर की बात है कि मंडल अध्यक्ष के सर्वश्री स्वयं विधानसभा चुनाव में दावेदारी की पूरजोर कोशिश कर रहे हैं। शहर माननीय और सर्वश्री की प्रतिद्वंता में मंडल अध्यक्ष मझदार में फंस चुके हैं। मंडल अध्यक्ष शहर माननीय के कार्यक्रम से इसलिए दूरी बनाए हुए हैं कि सर्वश्री को दावेदारी में कहीं खतरा न उपज जाए।