असीमराज पांडेय, केके शर्मा, जयदीप गुर्जर
रतलाम। यह साल चुनावी है, हर कोई अपनी मांगे मनवाने के लिए मुखर हो रहा है। जिनकी पहुंच परख है उनकी बात सुनी जा रही है, बाकी तो धकेले जा रहे हैं। पिछले सप्ताह प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के दो चेहरे देखने को मिले। जिले के बंदोबसिया कार्यालय के बाहर जमीन पट्टों की मांग की सुनवाई नहीं हुई और पद के साथ कद में छोटे साहब ने धक्का-मुक्की कर डाली। मामले में थाने पर पुलिसिया कार्रवाई भी हो गई। इसके विपरीत दो दिन बाद शहर की सीमा से सटी ग्राम पंचायत के लोग जमीन पट्टों की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। खतरे को भांप बंदोबासिया मौके पर पहुंच गए। अंदर की बाद यह की इस धरने के पीछे कौन था ? बताया जाता है कि इस ग्राम पंचायत से नगर के माननीय का भी लगाव है। माननीय के साथ 24 घंटे रहने वाले इसी ग्राम पंचायत के निवासी है और वह भी इस धरने में शामिल थे। चर्चा है कि जिले के बंदोबसिया पट्टे की गर्माहट को भांप तत्काल नम्बर बढ़ाने पहुंच गए।

इस्तीफा दे चुके नेताजी को फोटो खिंचवाने का शौक
पंजा छाप के एक नेताजी की श्रीमती के पार्षद बनने के बाद जलवे है। हालांकि यह नेताजी पद से इस्तीफा देकर सोशल मीडिया में कुछ दिनों पहले छाए थे। इन दिनों श्रीमती जी के जिम्मे का काम वार्ड में यह खुद संभाल रहे है और हर काम में आगे रहकर फोटो खिंचवाने का भी इनका शौक लंबे समय से है। हुआ यूं कि एक प्रतिष्ठित समाज का जुलूस शहर में निकला। जुलूस के समापन पर विकास कार्यों का शुभारंभ भी हुआ। जिस जगह शुभारंभ किया गया वह नेताजी की श्रीमती के वार्ड में आता है। शुभारंभ में नेताजी पीछे रह गए तो इन्होंने अपनी श्रीमती जी के साथ कुदाली हाथ मे लेकर फोटो सेशन करवाया। वहां मौजूद लोगों में भी चर्चा रही कि पार्टी में तो पूछ परख नहीं है, वार्ड में किसी भी कार्य मे नेताजी फोटो सेशन कराने में पीछे नहीं रहते।
फुलछाप पर रही खाकी भारी
जिले के आलोट थाने पर प्रदर्शन फुलछाप की गले की घन्टी बन गया। प्रदेश मुखिया के दौरे पर जिला आका की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जता चुके प्रदर्शन में शामिल नेता थे, इसके बाद भी खाकी की वजन दारी फुलछाप पर भारी रही। फुलछाप के जिला आका भले ही थाने पर प्रदर्शन सरकार के खिलाफ मान मंडल अध्यक्ष सहित सात नेताओं को अनुशासन हीनता का नोटिस जारी कर चुके हैं, लेकिन पार्टी में अंदरुनी चर्चा यह है कि नोटिस का जवाब जिला आका को अब कुछ अलग ही अंदाज में मिलेगा। क्योंकि फुलछाप में सुनवाई नहीं होने के बावजूद उल्टा स्थानीय नेताओं को नोटिस मिलना खाकी के साथ आमजन के सामने इज्जत उतरने सा हो गया। खाकी के सामने हार चुकी फुलछाप की अब जग में किरकिरी हो रही वो अलग है।